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शाहजहांपुर जेल में बैसाखी पर्व की धूम, खालसा पंथ की स्थापना और फसल के उत्सव का मिला संदेश

योगेंद्र सिंह यादव, ब्यूरो चीफ, शाहजहांपुर

शाहजहांपुर। जिला कारागार शाहजहांपुर में रविवार को बैसाखी पर्व बड़ी ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में गुरुद्वारा गुरु सिख सभा, कचहरी, शाहजहांपुर के सदस्यों सहित स्कूली बच्चों ने भाग लेकर बंदियों को बैसाखी के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व से अवगत कराया।

कार्यक्रम में जसप्रीत सिंह कोमल, जगजीत सिंह, राजा वीर जी, मिन्टू जी, राजू बग्गा, श्रीमती नवनीत कौर, सनप्रीत कौर सहित अन्य श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सभी ने बैसाखी पर्व के सामाजिक, धार्मिक एवं कृषक जीवन में महत्व पर प्रकाश डाला।

जसप्रीत सिंह कोमल, जगजीत सिंह और राजा वीर जी ने विस्तार से बताया कि बैसाखी न केवल खालसा पंथ की स्थापना का दिन है, बल्कि यह पर्व किसानों के लिए नई फसल की खुशियां भी लेकर आता है। इस दिन किसान खेतों में लहलहाती सुनहरी फसल को देखकर प्रसन्नता पूर्वक पर्व मनाते हैं, पारंपरिक नृत्य करते हैं और रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर उत्सव मनाते हैं।

सिख धर्म के संदर्भ में बताया गया कि वर्ष 1699 में गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में पंच प्यारे के माध्यम से खालसा पंथ की स्थापना की थी, जो धर्म, मानवता और बलिदान का प्रतीक है।

कार्यक्रम में कीर्तन वाचक टीम द्वारा भावपूर्ण शबद-कीर्तन प्रस्तुत किया गया, जबकि स्कूली बच्चों ने बैसाखी पर आधारित गीत और नृत्य से समा बांध दिया।

कार्यक्रम के अंत में सभी बंदियों को कड़ा प्रसाद वितरित किया गया। जेल प्रशासन और गुरुद्वारा समिति के समन्वय से यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जिसमें आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक गौरव का संदेश भी स्पष्ट रूप से झलका।


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