ब्यूरो रिपोर्ट: जहीन खान ✍️
जौनपुर, उत्तर प्रदेश। नगर के पॉलिटेक्निक चौराहा स्थित जीएचके हॉस्पिटल में शनिवार को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) को लेकर निशुल्क जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का उद्देश्य बांझपन जैसी संवेदनशील समस्या को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना और उपचार विकल्पों की जानकारी देना था। शिविर में लगभग 50 दंपत्तियों ने भाग लिया और विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श प्राप्त किया।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. दीपिका मिश्रा ने आईवीएफ प्रक्रिया को विस्तार से समझाते हुए कहा कि,
"आईवीएफ एक ऐसी तकनीक है जिसमें स्त्री के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर प्रयोगशाला में मिलाया जाता है। सफल निषेचन के बाद भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।"
उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए उपयुक्त है जो कई वर्षों से संतान की इच्छा के बावजूद असफल हो रहे हैं। जैसे कि –
- फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज
- कम शुक्राणु संख्या
- अस्पष्टीकृत बांझपन (Unexplained infertility)
डॉ. मिश्रा ने बताया कि एक आईवीएफ चक्र 15 से 20 दिन में पूर्ण होता है और इसका खर्च आमतौर पर 1.5 से 2.5 लाख रुपए प्रति चक्र आता है, जो अस्पताल की सुविधा और तकनीक पर निर्भर करता है। उन्होंने यह भी बताया कि अब कई अस्पतालों में सरकारी योजनाओं या सहायताओं के माध्यम से भी इस प्रक्रिया को सुलभ बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
शिविर में आए दंपत्तियों ने कार्यक्रम को जानकारीपूर्ण और प्रेरक बताया। कई महिलाओं ने इसे एक नई आशा की किरण करार दिया।
जीएचके हॉस्पिटल की ओर से बताया गया कि भविष्य में भी इस तरह के निशुल्क परामर्श शिविर आयोजित किए जाएंगे, जिससे समाज में बांझपन को लेकर फैली भ्रांतियां दूर की जा सकें और अधिक से अधिक दंपत्तियों को उपचार और उम्मीद मिल सके।
यह शिविर न केवल चिकित्सा जागरूकता का एक सार्थक प्रयास था, बल्कि समाज में स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति बढ़ती ज़रूरतों को भी उजागर करता है।
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