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डिजिटल गिरफ्तारी और फिनटेक फ्रॉड में शामिल बड़ा गिरोह शाहजहांपुर पुलिस ने दबोचा, एक करोड़ से ज्यादा की ठगी का खुलासा

स्टेट ब्यूरो हेड: योगेंद्र सिंह यादव, उत्तर प्रदेश

शाहजहांपुर। साइबर अपराध पर सख्ती के तहत शाहजहांपुर पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। साइबर थाना और एसआईटी टीम ने "डिजिटल अरेस्ट" और "फिनटेक साइबर फ्रॉड" के जरिए करोड़ों की ठगी करने वाले 7 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। इन ठगों ने शहर के एक व्यापारी से 1.04 करोड़ रुपये ठग लिए थे। गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश जारी है।

यह कार्रवाई एडीजी बरेली जोन रमित शर्मा, डीआईजी अजय कुमार साहनी और एसपी राजेश द्विवेदी के निर्देशन में की गई। पुलिस अधीक्षक ने साइबर ठगी के इस मामले में एसआईटी का गठन किया था, जिसमें साइबर थाना, एसओजी और सर्विलांस सेल की टीमों ने मिलकर जाल बिछाया और आरोपियों को दबोचा।

क्या है "डिजिटल अरेस्ट"?

"डिजिटल अरेस्ट" कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि साइबर अपराधियों द्वारा गढ़ी गई एक धोखाधड़ी की तकनीक है। इसमें खुद को सीबीआई, ईडी या कोर्ट अधिकारी बताकर वीडियो कॉल पर लोगों को डराया जाता है और कहा जाता है कि वे अपराध में फंस गए हैं, और अब उन्हें "डिजिटल रूप से गिरफ्तार" किया जा रहा है।
इसके बाद उनसे जमानत और आरोपों से मुक्ति के नाम पर बड़ी रकम ठग ली जाती है।

कैसे हुई थी ठगी?

पीड़ित व्यापारी शरदचंद्र से ठगों ने कहा कि उनके खातों से 2.80 करोड़ का अवैध ट्रांजेक्शन हुआ है। फिर WhatsApp वीडियो कॉल पर खुद को सरकारी एजेंसी के अधिकारी बताकर उन्हें डिजिटल कस्टडी में लेने की बात कही गई। डर के मारे व्यापारी ने 4 खातों में कुल 1.04 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।

रकम को 40 खातों में 9 लेयर में ट्रांसफर कर अंत में क्रिप्टो करेंसी में बदलकर Binance वॉलेट में भेज दिया गया। जांच में सामने आया कि 71 लाख रुपये हैदराबाद के एक कॉर्पोरेट अकाउंट में जमा किए गए, जहां उसी दिन करीब 3 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ था।

गिरफ्तार आरोपी:

  1. सचिन अहिरवार – झांसी
  2. प्रशांत कटारा – आगरा
  3. गौतम सिंह उर्फ लखन ठाकुर – नई दिल्ली
  4. संदीप कुमार पुंडीर – बुलंदशहर/हाथरस
  5. सैय्यद सैफ उर्फ सोनू – फरीदाबाद
  6. आर्यन शर्मा उर्फ यश – गाजियाबाद
  7. पवन कुमार यादव – टीकमगढ़, मध्य प्रदेश

कुछ और आरोपी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है।

बरामदगी:

  • 09 मोबाइल फोन
  • 07 एटीएम कार्ड
  • 01 पासबुक

जांच में खुलासा:

ठगों ने फिनटेक फ्रॉड की टीम बनाकर लोगों के कॉर्पोरेट अकाउंट की पहचान की। फिर पीड़ित का पैसा इन खातों में ट्रांसफर कर वहां से Cash Management System के ज़रिए अलग-अलग खातों में भेजा गया। इस नेटवर्क के जरिए बड़ी रकम को खपाने और ट्रेसिंग से बचने की योजना बनाई गई थी।

जागरुकता की अपील:

पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि साइबर अपराध के शिकार होने पर तुरंत 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज कराएं और किसी भी अनजान कॉल, लिंक या ऐप पर भरोसा न करें।

“जागरूक रहें, सुरक्षित रहें – साइबर ठगी से सतर्क रहें।”

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