ब्यूरो रिपोर्ट अमित गुप्ता ✍️
महाकुंभ 2025 के दौरान किन्नर अखाड़े में महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है। फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी, जिन्होंने हाल ही में संन्यास लेकर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की पदवी ग्रहण की थी, को इस पद से हटा दिया गया है। साथ ही, ममता को महामंडलेश्वर बनाने वाली आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी उनके पद से निष्कासित कर दिया गया है। यह कार्रवाई किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास द्वारा की गई है।
24 जनवरी 2025 को, ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज के संगम में पिंडदान कर संन्यास लिया और उन्हें "श्री यमाई ममता नंद गिरि" नाम दिया गया। इसके बाद, किन्नर अखाड़े ने उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी से सम्मानित किया। आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता की सनातन धर्म के प्रति श्रद्धा को देखते हुए यह निर्णय लिया था।
ममता के महामंडलेश्वर बनने के बाद, अखाड़े के भीतर मतभेद उभरने लगे। कई संतों ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई, जिसके परिणामस्वरूप अखाड़े में आंतरिक कलह बढ़ गई। इन विवादों के चलते, किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने ममता कुलकर्णी और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, दोनों को उनके पदों से हटाने का निर्णय लिया।
किन्नर अखाड़ा की स्थापना 13 अक्टूबर 2015 को उज्जैन में हुई थी। इस अखाड़े ने पहली बार 2016 के उज्जैन कुंभ में भाग लिया और 2019 के प्रयागराज कुंभ में भी इसकी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज हुई थी। इस अखाड़े का नेतृत्व आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी कर रही थीं। इन घटनाओं के बाद, किन्नर अखाड़ा के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अखाड़े के भीतर संतुलन और एकता बनाए रखने के लिए नए सिरे से नेतृत्व का चयन किया जाएगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में किन्नर अखाड़ा किस दिशा में अग्रसर होता है और इन परिवर्तनों का उसके आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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