Hot Posts

6/recent/ticker-posts

सुप्रीम कोर्ट ने मंदिरों में वीआईपी दर्शन के खिलाफ याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मंदिरों में वीआईपी दर्शन व्यवस्था के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि यह न्यायिक हस्तक्षेप का मामला नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस पर कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता।

याचिका में क्या मांग की गई थी?

याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा था कि देशभर के प्रमुख मंदिरों में आम भक्तों को घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है, जबकि वीआईपी और अमीर लोगों को बिना किसी प्रतीक्षा के विशेष प्रवेश मिल जाता है। यह व्यवस्था समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) और धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) का उल्लंघन करती है। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि सभी भक्तों के लिए समान नियम लागू किए जाएं और किसी को विशेष वरीयता न दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि मंदिरों के प्रशासन और दर्शन की व्यवस्थाएं तय करना न्यायालय का काम नहीं है। अदालत ने कहा:
"हम इस पर विचार नहीं कर सकते। हालांकि हमारी राय यह हो सकती है कि किसी को विशेष वरीयता नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन यह न्यायालय अनुच्छेद 32 के तहत कोई निर्देश जारी नहीं कर सकता।"

क्या है अनुच्छेद 32?

संविधान का अनुच्छेद 32 नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति देता है। हालांकि, अदालत का मानना था कि मंदिरों में वीआईपी दर्शन की व्यवस्था कोई ऐसा संवैधानिक मुद्दा नहीं है, जिस पर वह आदेश जारी कर सके।

मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिरों के प्रशासन से जुड़े फैसले सरकार या संबंधित धार्मिक ट्रस्टों द्वारा लिए जाने चाहिए। अदालत ने कहा कि यदि किसी को इस व्यवस्था से आपत्ति है, तो वह राज्य सरकार या मंदिर प्रशासन से संपर्क कर सकता है।

पहले भी उठ चुका है यह मुद्दा

देशभर के कई प्रमुख मंदिरों, जैसे तिरुपति बालाजी, सिद्धिविनायक, केदारनाथ, और वैष्णो देवी में वीआईपी दर्शन की सुविधा दी जाती है। इससे पहले भी इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठ चुकी है, लेकिन प्रशासन का तर्क है कि इससे मंदिरों की आय बढ़ती है और व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलती हैं।

अब आगे क्या?

चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया है, अब इस पर कोई भी बदलाव मंदिर प्रशासन या सरकार के स्तर पर ही संभव है। यदि सरकार या संबंधित प्रबंधन संस्थाएं चाहें, तो वीआईपी दर्शन व्यवस्था में बदलाव कर सकती हैं, लेकिन कानूनी रूप से इस पर रोक लगाने का रास्ता फिलहाल बंद हो गया है।

Post a Comment

0 Comments