विशेष संवाददाता सीतापुर
सीतापुर। ब्लॉक खैराबाद की ग्राम पंचायत बिनौरा में विकास के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। ग्रामीणों का आरोप है कि नाली निर्माण, सड़क निर्माण और अन्य विकास कार्यों को लेकर लाखों रुपये का बजट निकाला गया, लेकिन हकीकत में ये सारे काम केवल कागजों तक ही सीमित रह गए हैं।
गांव में हल्की बारिश होते ही भीषण जलभराव और कीचड़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। ग्रामीणों को आने-जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जगह-जगह पानी जमा है, न तो कहीं नाली की व्यवस्था है और न ही कोई सफाई की। ग्रामवासियों का कहना है कि आज तक नालियों की सफाई नहीं हुई, ना ही किसी सफाईकर्मी की उपस्थिति देखी गई है।
प्रधान और संबंधित अधिकारियों पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान और कुछ जिम्मेदार अधिकारी कागजों पर काम दिखाकर सरकारी धन निकाल रहे हैं, जबकि ज़मीनी स्तर पर कोई विकास नहीं हो रहा। ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में दिखाया गया है कि नाली और सड़क निर्माण जैसे कार्य पूरे कर लिए गए हैं, लेकिन मौके पर पहुंचने पर इनमें से एक भी काम नजर नहीं आता।
सरकारी गाइडलाइंस की उड़ रही धज्जियां
एक तरफ योगी सरकार भ्रष्टाचार पर सख्त रवैया अपनाते हुए पारदर्शिता की बात कर रही है, दूसरी तरफ बिनौरा पंचायत में खुलेआम सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है। गांव की हालत देखकर ऐसा लगता है मानो सरकार की गाइडलाइंस और योजनाओं को अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने ताक पर रख दिया हो।
"कहाँ गया विकास का पैसा?" – ग्रामीणों की गुहार
ग्रामीणों का सवाल है कि अगर नाली और सड़क निर्माण पर लाखों रुपये खर्च दिखाए गए हैं, तो वास्तविकता में ये पैसा गया कहां? किसकी जेब में यह रकम समा गई? और आखिर इस भ्रष्टाचार का जिम्मेदार कौन है? ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों से जांच की मांग की है ताकि दोषियों को चिन्हित कर कार्रवाई की जा सके।
जरूरत है ईमानदार जांच की
ग्राम पंचायत बिनौरा की स्थिति यह स्पष्ट करती है कि यहां विकास सिर्फ कागजों पर हुआ है, जमीनी हकीकत शून्य है। अब आवश्यक है कि जिलाधिकारी स्तर से एक निष्पक्ष जांच कराई जाए, ताकि पता चल सके कि कौन खा गया गांव के विकास का पैसा?
अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो ग्रामीणों का आक्रोश और भरोसा दोनों ही शासन-प्रशासन से उठते देर नहीं लगेगी।
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