ब्यूरो रिपोर्ट: राहुल कुमार
लखनऊ, काकोरी। राजधानी लखनऊ के विकास खंड काकोरी में पंचायत सहायक यूनियन के बैनर तले पंचायत सहायकों ने बुधवार को क्रॉप सर्वे कार्य से खुद को अलग रखने की जोरदार मांग उठाई। उनका कहना है कि यह कार्य उनके जॉब चार्ट का हिस्सा नहीं है और इससे ग्राम सचिवालय के दैनिक कार्यों पर गंभीर असर पड़ेगा।
पंचायत सहायकों ने बताया कि उनकी नियुक्ति का उद्देश्य ग्राम सचिवालय का संचालन, अभिलेखीय कार्य और सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन है, जिसके बदले उन्हें मात्र ₹6000 मानदेय दिया जाता है। क्रॉप सर्वे वर्ष में दो बार होता है और प्रत्येक बार लगभग एक माह तक चलता है, जिससे कुल दो महीने सचिवालय का कामकाज ठप हो जाएगा। इससे न केवल ग्रामीणों के जरूरी कार्य बाधित होंगे, बल्कि योजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन में भी रुकावट आएगी।
महिला पंचायत सहायकों की चिंता
महिला पंचायत सहायकों ने खेतों में सर्वे के दौरान अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि किसी भी अनुचित घटना या हादसे की स्थिति में जिम्मेदारी तय नहीं है, साथ ही उनके पास स्वास्थ्य बीमा और आयुष्मान योजना का लाभ भी नहीं है। ऐसे में दुर्घटना या स्वास्थ्य संबंधी समस्या आने पर इलाज कराना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
लेखपालों का कार्य, संसाधनों की कमी
सहायकों का कहना है कि क्रॉप सर्वे मुख्य रूप से लेखपालों का दायित्व है, जिनके पास खेत, घाट और खसरे से जुड़ी सटीक जानकारी होती है। इसके अलावा लेखपालों को इस कार्य के लिए पहले से ही तकनीकी संसाधन जैसे उच्च गुणवत्ता वाले मोबाइल फोन उपलब्ध हैं। पंचायत सहायकों के पास न तो ऐसी जानकारी है और न ही आवश्यक उपकरण, जिससे सर्वे की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
स्पष्ट मांग और चेतावनी
पंचायत सहायकों की स्पष्ट मांग है कि उन्हें क्रॉप सर्वे कार्य से मुक्त रखा जाए और यह जिम्मेदारी अन्य विभागीय कर्मियों या कृषि सखियों को सौंपी जाए। यदि सरकार यह कार्य उनसे कराना ही चाहती है, तो पहले संसाधन, सुरक्षा और बीमा संबंधी समस्याओं का समाधान किया जाए।
पंचायत सहायकों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। यह मामला अब विकास खंड से लेकर जिला स्तर तक चर्चा में है और आने वाले दिनों में इसके तेज होने के संकेत मिल रहे हैं।
0 Comments