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प्रदेश के 28 प्रजातियों के 948 वृक्ष हुए विरासत वृक्ष घोषित 100 वर्ष से अधिक आयु के वृक्षों को मिला “जीवित धरोहर” का दर्जा


  स्टेट ब्यूरो हेड योगेन्द्र सिंह यादव ✍🏻 

शाहजहाँपुर, 04 अक्टूबर 2025।
हमारे देश में प्राचीन काल से ही वृक्षों का रोपण, संरक्षण और पूजन की परंपरा रही है। वृक्ष न केवल पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक मान्यताओं से भी गहराई से जुड़े हुए हैं। इसी परंपरा को जीवित बनाए रखने हेतु उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड ने प्रदेश में 100 वर्ष से अधिक आयु के 28 प्रजातियों के 948 वृक्षों को “विरासत वृक्ष” घोषित किया है।

🌱 चयनित प्रमुख प्रजातियाँ

इन विरासत वृक्षों में अर्जुन, आम, इमली, नीम, पीपल, बरगद, गूलर, महुआ, साल, शीशम, जामुन, एडनसोनिया (कैलाबाश), हल्दू, पाकड़ और करील जैसे वृक्ष शामिल हैं। ये सभी वृक्ष न केवल जैव विविधता को संरक्षित करते हैं, बल्कि लोक आस्था, धार्मिक परंपराओं और ऐतिहासिक घटनाओं से भी जुड़े हुए हैं।

🌿 धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व

  • गोरखनाथ धाम (गोरखपुर) परिसर में बरगद और पाकड़ वृक्ष श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं। वट सावित्री व्रत पर महिलाएँ यहाँ पूजन-परिक्रमा करती हैं।
  • लखनऊ का दशहरी आम और वाराणसी का लंगड़ा आम अपने-अपने प्रजाति के मातृ वृक्ष हैं।
  • फतेहपुर का बावन इमली, मथुरा का इमलीतला मंदिर का इमली वृक्ष, प्रतापगढ़ का करील वृक्ष और बाराबंकी का एडनसोनिया वृक्ष भी विरासत वृक्ष घोषित किए गए हैं।
  • सारनाथ का बोधिवृक्ष, अंबेडकरनगर का पीपल (बाबा झारखंड) और शाहजहाँपुर की ऑर्डिनेंस क्लॉथ फैक्ट्री का स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा पीपल वृक्ष विशेष ऐतिहासिक महत्व रखते हैं।
  • प्रयागराज के किले का अक्षयवट, उन्नाव का वाल्मीकि आश्रम और मथुरा का टेर कदम्ब भी इस सूची में शामिल हैं।

📖 “उत्तर प्रदेश के विरासत वृक्ष” कॉफी टेबल बुक

विरासत वृक्षों के संरक्षण और महत्व को जन-जन तक पहुँचाने हेतु “उत्तर प्रदेश के विरासत वृक्ष” शीर्षक से कॉफी टेबल बुक प्रकाशित की गई है। इस पुस्तक में आकर्षक छायाचित्रों, वानस्पतिक/स्थानीय नामों, जियो-लोकेशन, आयु और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख है। इस पुस्तक का विमोचन माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया है। इसमें QR कोड आधारित सर्च सिस्टम, वीडियो डॉक्यूमेंट्री और उच्च गुणवत्ता के छायाचित्र शामिल हैं।

🛡️ संरक्षण व संवर्धन की पहल

  • विरासत वृक्षों के चारों ओर फेंसिंग और फूलदार बेलों का रोपण।
  • वृक्षों के पास क्यूआर कोड आधारित सूचना बोर्ड, सेल्फी प्वाइंट और वॉकिंग ट्रैक का निर्माण।
  • जागरूकता कार्यक्रमों और वानिकी पर्वों का आयोजन।
  • बिजली न होने पर सोलर लाइट की व्यवस्था
  • वृक्षों की देखरेख हेतु स्थानीय समुदाय की सहभागिता।

🌍 “विरासत वृक्ष अंगीकरण योजना”

प्रदेश में “विरासत वृक्ष अंगीकरण योजना” प्रारंभ की जा रही है, जिसके अंतर्गत स्थानीय समुदाय, संस्थाएँ और नागरिक इन वृक्षों के संरक्षण और संवर्धन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे।


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