योगेंद्र सिंह यादव, ब्यूरो चीफ, शाहजहांपुर
शाहजहांपुर, 25 अप्रैल 2025 – यूपी बोर्ड की हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में शाहजहांपुर जिला कारागार के सभी बंदियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सफलता हासिल की है। कुल चार बंदियों में से तीन ने प्रथम श्रेणी और एक ने द्वितीय श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण की है, जिससे जेल परिसर में उत्साह का माहौल है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार:
- दानिश खान ने हाई स्कूल की परीक्षा में 74% अंक प्राप्त कर प्रथम श्रेणी में सफलता पाई।
- दलबीर ने 71% अंक के साथ प्रथम श्रेणी में सफलता अर्जित की।
- धर्मेंद्र ने 67% अंक प्राप्त कर हाई स्कूल में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया।
- अजीत सिंह ने इंटरमीडिएट परीक्षा में 45% से अधिक अंक प्राप्त कर द्वितीय श्रेणी में सफलता हासिल की।
बोर्ड परीक्षा में शामिल तीन अन्य बंदी जेल से परीक्षा के पूर्व ही रिहा हो गए थे।
जेल अधीक्षक मिजाजी लाल के कार्यभार ग्रहण करने के बाद शाहजहांपुर जेल में सुधारात्मक गतिविधियों में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है। शिक्षा के क्षेत्र में यह लगातार दूसरा वर्ष है जब सभी परीक्षार्थी बंदियों ने सफलता प्राप्त की है। पिछली वर्ष की तरह इस वर्ष भी बंदियों का परिणाम प्रशंसनीय रहा।
कारागार प्रशासन द्वारा बंदियों को शिक्षा के लिए दिए जा रहे प्रयास इस प्रकार हैं:
- निरक्षर बंदियों को साक्षर बनाने एवं साक्षर बंदियों को आगे की शिक्षा के लिए प्रेरित किया जाता है।
- बंदियों को कक्षा 5, 8, हाई स्कूल, इंटरमीडिएट एवं उच्च शिक्षा के लिए मार्गदर्शन और सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।
- इग्नू और दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के माध्यम से उच्च शिक्षा की सुविधा उपलब्ध है।
- जेल में एनआईओएस केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है, जिससे बंदियों को सीबीएसई स्तर की मान्यता प्राप्त हो सकेगी।
व्यावसायिक प्रशिक्षण की दिशा में भी किए जा रहे कार्य:
- कंप्यूटर शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, राजमिस्त्री, टेलरिंग, बिजली मिस्त्री, गमला निर्माण, नर्सरी, जरदोजी, बेकरी कार्य आदि में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु इन प्रशिक्षणों से उत्पादित सामग्री की स्थायी प्रदर्शनी भी जेल के मुख्य मार्ग पर लगाई गई है, जहां से आमजन उक्त सामग्री क्रय कर सकते हैं।
शिक्षा और सुधार की दिशा में शाहजहांपुर जेल द्वारा किया जा रहा यह प्रयास निश्चित ही प्रेरणादायक है, जो न केवल बंदियों के जीवन को नई दिशा दे रहा है, बल्कि समाज में पुनर्वास की भावना को भी मजबूत कर रहा है।
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