स्टेट ब्यूरो हेड योगेन्द्र सिंह यादव ✍️
भारत निर्वाचन आयोग ने उन पंजीकृत लेकिन अमान्यताप्राप्त राजनैतिक दलों पर कड़ा रुख अपनाया है जो लगातार पिछले छह वर्षों (वर्ष 2019 से वर्ष 2025 तक) किसी भी प्रकार के चुनावी प्रक्रिया में भाग नहीं ले पाए।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29(ए) के तहत भारत निर्वाचन आयोग में विभिन्न राजनीतिक दल पंजीकृत हैं। इन दलों को यह अधिकार है कि वे चुनाव लड़ सकें, राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रह सकें और जनता के बीच अपनी विचारधारा को आगे बढ़ा सकें। किंतु आयोग के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश राज्य के 121 ऐसे दल हैं जिन्होंने पिछले 6 वर्षों में एक भी चुनाव नहीं लड़ा।
इसी के क्रम में निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली द्वारा पत्र संख्या 56/2025/पी.पी.एस.-III, दिनांक 11 अगस्त 2025 जारी करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे दलों से जवाब तलब किया जाए।
शाहजहाँपुर की दो पार्टियाँ भी लपेटे में
जारी सूची में जनपद शाहजहाँपुर की दो राजनीतिक पार्टियाँ भी शामिल हैं –
1. भारतीय ईमानदार पार्टी
पंजीकृत पता – सिंधौली, तहसील पुवायां, जिला शाहजहाँपुर (उ.प्र.)
2. सर्व सम्भाव पार्टी
पंजीकृत पता – यादव भवन, पुवायां रोड, ग्राम एवं ब्लॉक-बंदा, तहसील पुवायां, जिला शाहजहाँपुर (उ.प्र.)
इन दोनों दलों के खिलाफ भी “कारण बताओ नोटिस” जारी किया गया है और इन्हें नियमानुसार जवाब दाखिल करना अनिवार्य होगा।
नोटिस की कार्यवाही और समयसीमा
कार्यालय, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश, लखनऊ ने उपरोक्त दोनों दलों को रजिस्टर्ड डाक द्वारा नोटिस प्रेषित कर दिया है। नोटिस के अनुसार –
संबंधित दल के अध्यक्ष/महासचिव को अपना पक्ष रखते हुए प्रत्यावेदन, हलफनामा एवं आवश्यक अभिलेखों सहित 21 अगस्त, 2025 तक मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश (विकास भवन, जनपथ मार्केट, लखनऊ) में प्रस्तुत करना होगा।
इसके बाद सुनवाई की तिथि 02 सितम्बर, 2025 एवं 03 सितम्बर, 2025 तय की गई है। दोनों तिथियों को कार्यावधि में लखनऊ स्थित मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में उपस्थित होना होगा।
नहीं देंगे जवाब तो होगी कार्रवाई
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई दल नियत समय सीमा तक जवाब दाखिल नहीं करता है तो यह माना जाएगा कि दल के पास कहने के लिए कुछ नहीं है। ऐसी स्थिति में मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश द्वारा अनुशंसा सहित प्रस्ताव भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली को भेजा जाएगा, जिसके बाद संबंधित दल का नाम राजनैतिक दलों की सूची से हटा दिया जाएगा।
प्रभाव और संदेश
इस कार्रवाई का सीधा असर उन दलों पर पड़ेगा जो केवल कागजों पर अस्तित्व में हैं और जनता के बीच सक्रिय नहीं हैं। निर्वाचन आयोग का यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि केवल वही दल मान्यता और पंजीकरण बनाए रखें जो वास्तव में लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी कर रहे हों।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की सख्ती से गैर-जरूरी, निष्क्रिय और कागजी पार्टियों का सफाया होगा और वास्तविक राजनीतिक दलों को मजबूती मिलेगी।
जनपद शाहजहाँपुर की सियासत पर असर
शाहजहाँपुर जैसे जनपद, जहाँ क्षेत्रीय राजनीति का प्रभाव ज़्यादा रहता है, वहाँ से दो दलों का नोटिस की जद में आना स्थानीय राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि इन दलों की जमीनी उपस्थिति बहुत मजबूत नहीं रही, लेकिन आयोग की सख्ती ने साफ कर दिया है कि अब केवल नाम के लिए बनी पार्टियों को जगह नहीं मिलेगी।
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