ब्यूरो चीफ: अमित गुप्ता, सीतापुर
सीतापुर। एक ओर किसान पहले से ही खाद की किल्लत से परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर खाद वितरण में बरती गई लापरवाही ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है। मालगोदाम पर रविवार को आई इफको खाद की रैक को तेज बारिश के दौरान खुले में बोगियों से उतारा गया, जिससे सैकड़ों बोरियां भीग गईं। किसानों का कहना है कि इस लापरवाही ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है।
खाद को खुले में छोड़ने से बिगड़ी गुणवत्ता
मालगोदाम पर खाद की बोरियों को बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के उतारा गया, और बारिश शुरू होने के बावजूद उन्हें खुले में छोड़ दिया गया। जानकारों का कहना है कि भीगने से खाद की गुणवत्ता खराब हो जाती है और वजन में भी 8-10 किलो तक की कमी आ सकती है, जिससे फसलों की उत्पादकता पर बुरा असर पड़ता है।
किसानों में नाराजगी, कार्रवाई की मांग
स्थानीय किसान नेता पिंदर सिंह सिद्धू ने बताया कि इस लापरवाही को लेकर किसानों में गहरी नाराजगी है। किसानों का कहना है कि जब रैक आने का समय पहले से तय होता है, तो विभाग और ठेकेदारों को पूरी तैयारी करनी चाहिए थी। यदि पहले से ही मंहगी और दुर्लभ खाद भीगकर खराब हो जाए, तो किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ती है।
किसानों ने लापरवाह ठेकेदारों पर कार्रवाई की मांग की है और कहा है कि उन्हें नुकसान की भरपाई के लिए बाध्य किया जाए। साथ ही, भविष्य में खाद वितरण से पूर्व गुणवत्ता की जांच सुनिश्चित करने की मांग उठाई गई है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया पर उठे सवाल
वहीं इस मामले में जब प्रशासन से प्रतिक्रिया मांगी गई तो एआर कोऑपरेटिव नवीन चंद्रा ने दावा किया कि "हमारे यहां किसी प्रकार की कोई खाद नहीं भीगी है।" हालांकि, स्थानीय किसानों और मीडिया द्वारा प्रस्तुत स्थिति इसके ठीक विपरीत नजर आ रही है।
कुल मिलाकर, प्रशासन की चुप्पी और ठेकेदारों की लापरवाही के बीच किसान ही पिस रहे हैं। अब देखना होगा कि जिम्मेदारों पर कार्रवाई होती है या यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
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