ब्यूरो चीफ: अमित गुप्ता, सीतापुर
सीतापुर में गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती का आयोजन अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान अयोध्या, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश, एवं हिंदी सभा सीतापुर के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस भव्य आयोजन में संस्कार भारती, भारतोदय एवं अक्षरा संस्थाओं का सहयोग भी प्राप्त हुआ।
समारोह का शुभारंभ सुंदरकांड के सामूहिक पाठ से हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं और साहित्यप्रेमियों ने पूरे भाव से सहभागिता की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अधिवक्ता आशीष मिश्र ने की, जबकि संचालन हिंदी सभा के महामंत्री रजनीश मिश्र द्वारा किया गया। विषय प्रवर्तन प्रभात संपादक कला कुंज भारती पद्मकांत शर्मा ने किया, जिन्होंने “तुलसी साहित्य के मूल तत्व एवं वर्तमान में प्रासंगिकता” विषय पर गहराई से विचार रखे।
मुख्य वक्ता अरुणेश मिश्र ने तुलसी साहित्य की विशद व्याख्या करते हुए बताया कि कैसे यह साहित्य आज भी सामाजिक समरसता, नैतिकता और लोकहित का मार्गदर्शन करता है।
साहित्य भूषण कमलेश मौर्य 'मृदु' ने अपने ओजपूर्ण वक्तव्य में तुलसी साहित्य के मूल तत्वों — लोकहित, धर्म समन्वय और सांस्कृतिक चेतना — को रेखांकित करते हुए उनकी समसामयिकता को उदाहरणों सहित प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर कमलेश पांडेय, कार्तिकेय शुक्ल, झंकारनाथ शुक्ल, अशोक अग्निपथी, जी.एल. गांधी, भगवती प्रसाद गुप्त ने भी समारोह को संबोधित कर तुलसीदास जी के योगदान पर प्रकाश डाला। वाणी वंदना का पाठ सुमन मिश्रा द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के तृतीय चरण में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय मंत्री कमलेश मौर्य 'मृदु' ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय काव्य पाठ में छंदबद्ध शैली में तुलसीदास के कृतित्व और व्यक्तित्व को समर्पित रचनाएं प्रस्तुत कीं, जिनकी सभी उपस्थित विद्वानों और श्रोताओं ने भूरि-भूरि सराहना की:
"दिल्लीश्वर ही जगदीश्वर है चहुं ओर जहां पड़ता था सुनाई।
लोग निराश हताश से थे कोई मार्ग नहीं पड़ता था सुझाई।
घोर तमिस्रा में भक्ति की शक्ति से है तुलसी ने मशाल जलाई।
मानस को शुचि संबल दै जन-मानस में नई आस जगाई।।"
"राम के धाम को ध्वस्त किया मुगलों ने अनेक उत्पात मचाये।
लाखन लोग भये बलिदान परंतु न सेना से पार बिसाये।
भक्तन के दुख देखि दुखी तुलसी भरे मानस चैन न पायें।
मानस को लिखिकै तुलसी जन-मानस में 'मृदु' राम बिठाये।।"
उदय प्रताप त्रिवेदी एवं जी.एल. गांधी ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह, माल्यार्पण और रामनाम उत्तरीय भेंट कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों के लिए निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें सभी प्रतिभागियों को अध्यक्ष आशीष मिश्र ने पुरस्कार देने की घोषणा की।
समारोह में जिले भर से आए साहित्यप्रेमियों, शिक्षाविदों और संस्कृतिकर्मियों ने भाग लेकर इसे ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बना दिया।
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