ब्यूरो रिपोर्ट: अंकुल गुप्ता, सीतापुर
सकरन (सीतापुर)। क्षेत्र के कुछ ग्राम पंचायतों में मानकविहीन विकास कार्य और ग्राम निधि की लूट को लेकर हो रही जाँच से घबराए ग्राम प्रधानों और उनके कथित प्रतिनिधियों ने प्रशासन पर दबाव बनाने के उद्देश्य से ब्लॉक परिसर में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार ग्राम पंचायत ओड़ाझार, नसीरपुर और मोहलिया के प्रधानों और उनके प्रतिनिधियों पर बगैर मानक के कार्य कर फर्जी भुगतान कराने के गंभीर आरोप हैं। यही नहीं, इन पंचायतों में पूर्व में तैनात रहे पंचायत सचिव को भी निलंबित किया जा चुका है, परन्तु जनप्रतिनिधित्व के प्रभाव से ग्राम प्रधान अब तक किसी बड़ी कार्यवाही से बचते आए हैं।
अब जब नवनियुक्त पंचायत सचिव ने बिना कार्य कराए भुगतान करने से इनकार कर दिया और समस्त कार्यों की जाँच की बात कही, तो ग्राम प्रधानों ने इसका विरोध करते हुए प्रशासन पर झूठे आरोप लगाकर धरना शुरू कर दिया।
प्रश्न यह उठता है कि क्या यह धरना वास्तव में जनता के हक में है या भ्रष्टाचार को छुपाने की कोशिश?
सूत्र बताते हैं कि—
- पूर्व में इंटरलॉकिंग निर्माण कार्यों में भारी अनियमितता सामने आ चुकी है।
- फर्जी मनरेगा मजदूरों के नाम पर लाखों की रकम हड़प ली गई।
- हैंडपंप मरम्मत और रिबोर के नाम पर बगैर काम कराए भुगतान हुआ।
- वृक्षारोपण की जगह कागज़ों पर हरियाली उगाई गई।
इन सब तथ्यों को छिपाने और जाँच से बचने के लिए यह पूरा आंदोलन अलोकतांत्रिक और सोची-समझी रणनीति प्रतीत हो रहा है।
प्रशासन क्या करेगा?
अब देखना यह है कि प्रशासन इस धरने से दबाव में आता है या जांच को निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ाता है।
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