ब्यूरो रिपोर्ट: शरद बाजपेई, सीतापुर ✍️
सीतापुर में एकीकृत बागवानी विकास मिशन के पर ड्रॉप मोर क्रॉप घटक के अंतर्गत सूक्ष्म सिंचाई पद्धति विषय पर उद्यान विभाग द्वारा प्रायोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में जल उपयोग दक्षता, मूल्य संवर्धन, किसान उत्पादक संगठन (FPO) की भूमिका और उद्यानिकी के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों पर विस्तार से चर्चा हुई।
मुख्य अतिथि जिला उद्यान अधिकारी श्रीमती राजश्री ने उद्घाटन भाषण में जल संरक्षण और तकनीकी सशक्तिकरण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों के समन्वय को कृषि उन्नयन की दिशा में महत्वपूर्ण बताया।
अध्यक्षता करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र कटिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दया एस. श्रीवास्तव ने कहा कि सीतापुर में उद्यानिकी फसलों की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने ड्रिप और स्प्रिंकलर पद्धति से जल संरक्षण और उत्पादन वृद्धि के लाभ बताए।
मृदा वैज्ञानिक डॉ. सचिन प्रताप तोमर ने फर्टिगेशन तकनीक की महत्ता बताई, जिससे उर्वरकों का नुकसान कम होता है और मृदा की उर्वरता बढ़ती है।
पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. आनंद सिंह ने वर्षा जल संचयन के आधुनिक तरीकों पर प्रकाश डाला, जबकि कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने एफपीओ गठन और मशरूम उत्पादन की तकनीकें साझा कीं।
शस्य वैज्ञानिक डॉ. शिशिर कांत सिंह ने ड्रोन तकनीक और डीएसआर (Direct Seeding of Rice) विधि के फायदे बताए।
गृह वैज्ञानिक डॉ. रीमा ने फलों-सब्जियों के मूल्य संवर्धन और भंडारण रणनीतियों पर जानकारी दी।
प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने हल्दी, अदरक और जिमीकंद की अंतःफसली पद्धति के लाभ समझाए।
कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान नवीन राजवंशी ने ड्रिप इरिगेशन से शिमला मिर्च, हल्दी और स्ट्रॉबेरी की सफल खेती का अनुभव साझा किया, वहीं आशीष वर्मा ने पपीता की हाई डेंसिटी प्लांटेशन और जैविक खेती से हुई आमदनी का अनुभव सुनाया।
संचालन डॉ. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने किया और अंत में डॉ. सचिन प्रताप ने धन्यवाद ज्ञापन देकर कार्यक्रम का समापन किया।
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