ब्यूरो रिपोर्ट:अंकुल गुप्ता,सीतापुर ✍️
सीतापुर (सकरन):
विकास खण्ड सकरन की कई ग्राम पंचायतों में फैले भ्रष्टाचार को लेकर चल रहा प्रधानों और प्रधानपतियों का धरना आखिरकार डीसी मनरेगा के हस्तक्षेप और आश्वासन के बाद समाप्त हो गया। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में कई महत्वपूर्ण तथ्य और विरोधाभास भी सामने आए।
सूत्रों के अनुसार, ग्राम पंचायत नसीरपुर, ओड़ाझार और मोहलिया में व्याप्त भ्रष्टाचार के बावजूद धरने का एजेंडा काफी सीमित रखा गया। प्रधान संघ अध्यक्ष और प्रधानपति, जो खुद भी कई गंभीर आरोपों के घेरे में हैं, उन्होंने कुछ चुनिंदा मुद्दों को उठाया और बाकी महत्वपूर्ण अनियमितताओं पर चुप्पी साधे रखी।
ग्राम प्रधानपति नसीरपुर द्वारा अपात्रों को आवास योजना में लाभ दिए जाने का मुद्दा उठाया गया, जिस पर डीसी मनरेगा ने तत्काल तीन सदस्यीय जांच समिति गठित करने का आदेश दिया। परंतु पंचायत में फर्जी मनरेगा मजदूरों के नाम पर भुगतान, मानक विहीन निर्माण कार्य जैसे गंभीर मामलों पर कोई चर्चा नहीं हुई।
ओड़ाझार पंचायत में भी स्थिति कुछ ऐसी ही रही। हजारों पेड़ों के सूखने, बिना रोड़ी के इंटरलॉकिंग कार्य जैसे मामलों को नजरअंदाज कर केवल आवास मुद्दे को ही धरने में उठाया गया। इसी प्रकार ग्राम मोहलिया में बन रहे तालाब के कार्य में अनियमितता पाए जाने पर बीडीओ ने काम रुकवाने और भुगतान पर रोक लगाने का आदेश जरूर दिया, लेकिन अन्य गड़बड़ियों पर कोई ठोस बात सामने नहीं आई।
ग्राम बसहिया कोठार में ग्राम प्रधानपुत्र द्वारा पंचायत सचिव की आईडी में खुद का मोबाइल नंबर जोड़ने का मामला भी उठाया गया, जिस पर सचिव से स्पष्टीकरण मांगा गया। परंतु खुद ग्राम प्रधान द्वारा ठेकेदारों से कार्य कराने, खड़ंजा खुदवाने, और बिना रोड़ी के इंटरलॉकिंग कार्य जैसे गंभीर मुद्दे उठाए ही नहीं गए।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद क्षेत्रीय जनता में यह चिंता गहराती जा रही है कि भ्रष्टाचार पर विराम लगेगा भी या नहीं। जनता अब भी यह मानती है कि जांच और कार्यवाही यदि निष्पक्ष और व्यापक नहीं हुई, तो यह केवल एक दिखावा बनकर रह जाएगा।
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