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फसल अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम हेतु दिशानिर्देश जारी


स्टेट ब्यूरो हेड योगेन्द्र सिंह यादव ✍🏻 

शाहजहांपुर, 16 सितम्बर 2025 – जिलाधिकारी ने किसानों को अवगत कराते हुए बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन और पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए निम्न व्यवस्था की गई है:

  1. कटाई के समय प्रबंधन – कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर एस.एम.एस. का प्रयोग करें, ताकि पराली का प्रबंधन कटाई के समय ही हो सके।
  2. अन्य यंत्रों का उपयोग – सुपर एस.एम.एस. के विकल्प के रूप में स्ट्रारीपर, स्ट्रारेक, बेलर, मल्चर, पैडी स्ट्रा चॉपर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लेशर, रिवर्सिबल एम.बी. प्लाऊ आदि यंत्रों का प्रयोग कर फसल अवशेष को बंडल बनाकर अन्य उपयोग में लाएं या मिट्टी में मिलाएं।
  3. कम्बाइन स्वामी की जिम्मेदारी – यदि यंत्रों का उपयोग नहीं किया जाता है, तो नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
  4. रबी बुवाई व डीकम्पोजर का प्रयोग – जो किसान पराली हटाए बिना जीरो टिल सीड कम फर्टी ड्रिल, हैपी सीडर या सुपर सीडर का प्रयोग करना चाहते हैं, उन्हें संबंधित उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी को यह घोषणा-पत्र देना होगा कि पराली नहीं जलायी जाएगी।
  5. सख्ती का प्रावधान – पराली जलाने की घटना मिलने पर जिलाधिकारी कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर एस.एम.एस. लगाने की अनिवार्यता लागू कर सकते हैं।
  6. वैकल्पिक उपयोग – किसान पराली को मिट्टी में मिलाकर कम्पोस्ट खाद बनाएं, गौशालाओं को दें या बेलर के माध्यम से पराली को हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, बदायूँ को उपलब्ध कराएं।
  7. दंड प्रावधान
    • 2 एकड़ से कम क्षेत्र: ₹5,000 प्रति घटना
    • 2–5 एकड़: ₹10,000 प्रति घटना
    • 5 एकड़ से अधिक: ₹30,000 प्रति घटना
      साथ ही, राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम की धारा-24 के अंतर्गत क्षतिपूर्ति व धारा-26 के अंतर्गत पुनरावृत्ति पर कारावास एवं अर्थदंड का प्रावधान है।

किसानों से अपील की गई है कि वे पराली न जलाएं, मृदा की उर्वरता बनाए रखें और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाएं

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