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ऊर्जा उत्पादन व आपूर्ति के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश आत्मनिर्भरता की ओर — योगी सरकार के ठोस कदम

 


स्टेट ब्यूरो हेड योगेन्द्र सिंह यादव ✍🏻 

ऊर्जा हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। बिना ऊर्जा के आज के विकासशील युग की कल्पना भी नहीं की जा सकती। औद्योगिक उत्पादन, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि एवं घरेलू कार्य — हर क्षेत्र में बिजली की आवश्यकता अनिवार्य हो चुकी है। इसी दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश ने विद्युत उत्पादन, पारेषण और आपूर्ति के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्ष 2016-17 में 17,890 मेगावाट रही प्रदेश की ट्रांसमिशन क्षमता को बढ़ाकर वर्ष 2024-25 में 31,500 मेगावाट किया गया है। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2025-26 तक यह क्षमता बढ़ाकर 32,500 मेगावाट की जाए।

इसी प्रकार विद्युत आयात क्षमता में भी उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। वर्ष 2016-17 में जहां यह 7,800 मेगावाट थी, वहीं अब यह बढ़कर 16,700 मेगावाट हो चुकी है। आगामी वर्ष में इसे 17,500 मेगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

प्रदेश में विद्युत आपूर्ति के क्षेत्र में भी बड़ी उपलब्धियां दर्ज की गई हैं। 11 जून 2025 को 31,486 मेगावाट की उच्चतम विद्युत मांग को सफलतापूर्वक वहन किया गया, जबकि 12 जून 2025 को 655.90 मिलियन यूनिट बिजली की अधिकतम आपूर्ति की गई।

वर्ष 2024-25 में 13 नए विद्युत उपकेंद्रों का ऊर्जीकृत किया गया, जिनसे ग्रिड में 10,176 एमवीए ट्रांसफॉर्मर क्षमता और 1,630 सर्किट किलोमीटर लाइनें जोड़ी गईं। इसी तरह 2025-26 के अगस्त माह तक 3 नए उपकेंद्रों और 321 सर्किट किलोमीटर लाइनों का ऊर्जीकृत कार्य पूरा किया जा चुका है।

कृषि क्षेत्र में भी सरकार ने किसानों को लाभान्वित करने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। वर्ष 2017-18 से अब तक 4,07,911 से अधिक निजी नलकूपों का विद्युत संयोजन किया गया है। किसानों को सिंचाई हेतु कम दर पर विद्युत उपलब्ध कराने के लिए कृषि विद्युत को घरेलू विद्युत से अलग किया गया है।

सरकार के इन कदमों से उत्तर प्रदेश ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से अग्रसर है और आने वाले वर्षों में प्रदेश की ऊर्जा आपूर्ति व्यवस्था और अधिक मजबूत व सुदृढ़ होने की उम्मीद है।


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