स्टेट ब्यूरो हेड योगेन्द्र सिंह यादव ✍🏻
शाहजहाँपुर, 18 अक्टूबर 2025
हिमालय से निकलकर भारतवर्ष की भूमि को जीवनदायिनी बनाने वाली गंगा नदी, युगों से पवित्र, पतितपावनी और मोक्षदायिनी मानी जाती रही है। भारतीय संस्कृति में गंगा के प्रति गहरी आस्था और श्रद्धा रही है। गंगा के किनारे बसे नगर, धार्मिक स्थल और सांस्कृतिक केंद्र इसके आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व को दर्शाते हैं।
औद्योगिकीकरण और अतिक्रमण के चलते गंगा का जल प्रदूषित होने लगा। इसे देखते हुए भारत सरकार ने “नमामि गंगे” कार्यक्रम शुरू किया। इस मिशन का उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण को कम करना, संरक्षण और पुनरुद्धार करना है।
उत्तर प्रदेश में नमामि गंगे:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में 74 सीवर शोधन परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं। इनमें से 39 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, 22 पर कार्य प्रगति में है, 2 नई परियोजनाओं की निविदा प्रक्रिया पूरी हुई और 9 परियोजनाओं के टेंडर प्रक्रिया में हैं। कुल स्वीकृत धनराशि ₹16,177.12 करोड़ है। इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर 2,288.30 डस्क सीवेज शोधन होगा।
सीवर ट्रीटमेंट प्लांट्स:
- निर्माणाधीन: 32 प्लांट्स (900.10 डस्क्)
- निविदा प्रक्रिया में: 8 प्लांट्स (483 डस्क्)
- विचाराधीन: 9 परियोजनाएं (555 डस्क्)
अब तक राज्य में 38 परियोजनाओं का निर्माण पूर्ण हो चुका है, जिनकी कुल शोधन क्षमता 849.70 डस्क् है। वर्तमान में कुल 5500 डस्क् सीवेज उत्पन्न हो रहा है, जिसमें 152 ट्रीटमेंट प्लांट संचालित हैं, जिनकी क्षमता 4651.60 डस्क् है।
औद्योगिक क्षेत्र में शोधन योजनाएं:
कानपुर, उन्नाव, बन्थर, मथुरा और गोरखपुर में परियोजनाएं लागू हैं। मथुरा और कानपुर की परियोजनाएं पूर्ण हैं, बन्धर में 70% कार्य पूरा हुआ, उन्नाव और गोरखपुर की परियोजनाएं प्रगति पर हैं।
घाटों और कुंडों का विकास:
- प्रयागराज: 7 घाट महाकुम्भ 2025 से पूर्व तैयार
- फतेहपुर और बलिया: निर्माण प्रगति पर
- वाराणसी: 26 नहाने वाले घाट, 8 कुंडों का पुनरुद्धार और सौंदर्यीकरण
- वृन्दावन: 9 कुंडों का पुनरुद्धार प्रोजेक्ट स्वीकृति के लिए भेजा गया
शहरी नदियों का प्रबंधन:
उत्तर प्रदेश के 25 शहरी निकाय RIVER CITY ALLIANCE प्लेटफॉर्म में शामिल हैं। कानपुर, अयोध्या, बरेली, मुरादाबाद, मिर्जापुर, गोरखपुर, बिजनौर, मथुरा-वृन्दावन और शाहजहाँपुर में URMP तैयार या प्रगति में है। प्रयागराज हेतु ड्राफ्ट योजना तैयार है।
निष्कर्ष:
नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत नदियों में प्रवाहित अपशिष्ट जल का शोधन, घाटों और कुंडों का पुनरुद्धार, औद्योगिक शोधन और शहरी नदियों का प्रबंधन सुनिश्चित किया जा रहा है। यह अभियान गंगा को स्वच्छ, संरक्षित और जीवनदायिनी बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
✅ गंगा की स्वच्छता = स्वस्थ जीवन और समृद्ध समाज।
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