स्टेट ब्यूरो हेड योगेन्द्र सिंह यादव ✍🏻
शाहजहाँपुर।
प्रदेश में वर्षों से लंबित प्रोत्साहन राशियों के भुगतान एवं लंबित मांगों के समाधान को लेकर आशा एवं आशा संगिनी कर्मियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन की ओर से माननीय मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी एवं संबंधित अधिकारियों के माध्यम से सौंपा गया।
ज्ञापन में बताया गया कि प्रदेश की आशा एवं आशा संगिनी कर्मी पिछले कई वर्षों से स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ के रूप में कार्य कर रही हैं, लेकिन इसके बावजूद वर्ष 2019 से उनकी अनेक प्रोत्साहन राशियां अब तक लंबित हैं। कई बार लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाने के बाद भी सरकार द्वारा उनकी समस्याओं के समाधान की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई।
आशा वर्कर्स यूनियन ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत गोल्डन आयुष्मान कार्ड एवं आभा आईडी निर्माण में आशा कर्मियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन अब तक लगभग ₹225 करोड़ की देय राशि का भुगतान नहीं किया गया है। इसके चलते आशा एवं संगिनी कर्मियों को आर्थिक, मानसिक और सामाजिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि 6 अक्टूबर 2025 को दिए गए ज्ञापन एवं स्वास्थ्य मंत्री को सौंपे गए मांग पत्र के बावजूद न तो समस्त बकाया भुगतान किए गए और न ही त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित की गई। प्रशासन की अनदेखी और मिशन निदेशालय की मनमानी के कारण आशा कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए विवश हुई हैं।
ज्ञापन के माध्यम से सरकार से मांग की गई है कि आशा एवं आशा संगिनी को मानद स्वयंसेवक के बजाय सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, न्यूनतम वेतन लागू किया जाए, ईपीएफ-ईएसआई की सुविधा दी जाए, सेवा निवृत्ति पर ग्रेच्युटी सुनिश्चित की जाए तथा स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा की सुविधा प्रदान की जाए।
इसके साथ ही न्यूनतम वेतन लागू होने तक आशा कर्मियों को ₹21,000 तथा आशा संगिनी को ₹28,000 मासिक मानदेय देने, सभी लंबित प्रोत्साहन राशियों का तत्काल भुगतान करने, कार्य की सीमा तय करने एवं कार्यदशा सुधारने की मांग की गई।
यूनियन ने मुख्यमंत्री से त्वरित हस्तक्षेप कर वार्ता के माध्यम से समस्याओं का समाधान कराते हुए हड़ताल समाप्त कराने की अपील की है।


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