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लखनऊ: 120 करोड़ के टोल घोटाले की जांच तेज, एसटीएफ और पुलिस ने 42 प्लाजा को भेजे नोटिस


लखनऊ में 42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर के जरिए किए गए 120 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन और जांच एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश एसटीएफ और स्थानीय पुलिस ने संयुक्त रूप से जांच शुरू की है। अधिकारियों के अनुसार, इन टोल प्लाजा में सॉफ्टवेयर का दुरुपयोग कर बड़े पैमाने पर राजस्व का गबन किया गया।

घोटाले की कार्यप्रणाली:

टोल प्लाजा पर इस्तेमाल किए गए सॉफ्टवेयर में हेरफेर कर टैक्स संग्रहण के सही आंकड़ों को छिपाया गया। यह सॉफ्टवेयर वाहनों के वास्तविक आवागमन और टोल संग्रह की जानकारी को दर्ज करने में गड़बड़ी करता था। इससे बड़ी मात्रा में पैसे की हेराफेरी की गई, जो सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ अवैध कमाई का माध्यम बना।

जांच की स्थिति:

अब तक की जांच में पुलिस ने इन 42 टोल प्लाजा के संचालकों और संबंधित कंपनियों को नोटिस जारी करने की तैयारी कर ली है। उनसे सॉफ्टवेयर की तकनीकी जानकारी, लेन-देन के आंकड़े और अन्य संबंधित दस्तावेज मांगे जाएंगे।

आगे की जांच:

इसके अलावा, 86 अन्य टोल प्लाजा को भी चिह्नित किया गया है, जहां इस तरह के घोटाले की आशंका जताई जा रही है। इन टोल प्लाजा की जांच के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है, जो इनकी तकनीकी और वित्तीय जानकारी की जांच करेंगी।

प्रभाव और कार्रवाई:

घोटाले की इस घटना से यह स्पष्ट है कि टोल प्लाजा संचालन में तकनीकी पारदर्शिता की कमी है। प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाने का आश्वासन दिया है कि भविष्य में इस तरह के घोटाले न हो। सरकार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है और साथ ही घोटाले की रकम की रिकवरी के लिए भी योजनाएं बना रही है।

सार्वजनिक प्रभाव:

इस घोटाले से आम जनता में नाराजगी है, क्योंकि टोल टैक्स जनता की मेहनत की कमाई का हिस्सा है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सख्त सजा मिले।

इस जांच के जरिए सरकार और प्रशासन के सामने यह चुनौती भी है कि वे टोल प्लाजा संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा दें, ताकि भविष्य में ऐसे घोटालों को रोका जा सके।


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