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फर्जी डॉक्टर की लापरवाही से गई व्यवसायी के पिता की जान, अपोलो अस्पताल प्रबंधन पर भी सवाल

विशेष संवाददाता बिलासपुर 

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। अपोलो अस्पताल, बिलासपुर में वर्षों पुराना एक गंभीर मामला फिर से सुर्खियों में है, जहां एक फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट की लापरवाही के चलते एक व्यवसायी को अपने पिता की जान गंवानी पड़ी। यह मामला अब कानूनी दायरे में पहुंच चुका है।

बिलासपुर निवासी व्यवसायी सुरेश टुटेजा ने सरकंडा थाना में दर्ज कराई शिकायत में बताया कि वर्ष 2006 में उनके पिता भगतराम टुटेजा को पेट दर्द की शिकायत पर अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां तैनात डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम ने उन्हें दिल का मरीज बताकर इलाज शुरू किया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।

हाल ही में दमोह में सामने आए फर्जीवाड़े ने इस पुराने मामले को फिर उजागर कर दिया। बताया गया कि नरेंद्र जॉन केम ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पहले मिशनरी अस्पताल दमोह में और फिर बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में नौकरी प्राप्त की थी। दमोह में की गई 15 हार्ट सर्जरी में से 8 मरीजों की मौत हो चुकी है, जिसमें से तीन की मृत्यु एंजियोप्लास्टी के दौरान हुई।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेंद्र शुक्ल के बेटे प्रदीप शुक्ल ने भी डॉक्टर के खिलाफ इसी प्रकार की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उनके पिता की मौत को डॉक्टर की लापरवाही का परिणाम बताया गया।

फर्जी डॉक्टर के खिलाफ धारा 420, 465, 466, 468, 471, 304, 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस अब डॉक्टर से पूछताछ के लिए दमोह रवाना होगी। साथ ही अस्पताल प्रबंधन की भूमिका की भी जांच हो रही है, जिस पर बिना दस्तावेज सत्यापन के नियुक्ति देने का आरोप है।

इस गंभीर लापरवाही के खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रबंधन पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पूरे प्रकरण पर कितनी सख्ती से कार्रवाई करता है।

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