ब्यूरो रिपोर्ट: अंकुल गुप्ता
सीतापुर/सकरन: क्षेत्रीय जनता इन दिनों प्राइवेट विद्यालयों की लूटखसोट और अनियमितताओं से कराह रही है, लेकिन शिक्षा विभाग और खंड शिक्षा अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं। महंगी फीस, महंगे पाठ्यक्रम और निर्धारित पोशाकों के बावजूद शिक्षा का स्तर शून्य है। न शिक्षण व्यवस्था है, न योग्य शिक्षक, फिर भी इन विद्यालयों में धड़ल्ले से दाखिले हो रहे हैं।
सकरन क्षेत्र के गजनीपुर, जवाहर नगर कोंसर, सकरन, बबौर, हन्नीहा, झउवा जैसे कई गांवों में बगैर मान्यता के संचालित हो रहे दर्जनों निजी शिक्षण संस्थान बेसिक शिक्षा विभाग को खुली चुनौती दे रहे हैं। बच्चों के भविष्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है और जिम्मेदार अधिकारी इन संस्थानों की जांच तक नहीं कर रहे।
📌 जमीनी हकीकत
- इन विद्यालयों में हवा, पानी, बिजली, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं।
- योग्य शिक्षकों का अभाव है, बावजूद इसके शिक्षा का ढोंग रचा जा रहा है।
- बगैर टीसी (स्थानांतरण प्रमाणपत्र) के भी बच्चों के दाखिले किए जा रहे हैं।
- अभिभावकों से मनमानी फीस वसूली जा रही है, और उनका विरोध करने पर बच्चों को मानसिक दबाव में लाया जाता है।
😷 शिक्षा विभाग की चुप्पी बनी सवाल
इन शिक्षण संस्थानों के पास न तो बेसिक मान्यता है, न एसआर रजिस्टर की कोई जांच हो रही है, न ही पाठ्यक्रम और शिक्षकों की योग्यता की पड़ताल। यह सब खंड शिक्षा अधिकारी, सकरन के संरक्षण में फल-फूल रहा है।
अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को अच्छे भविष्य की उम्मीद में दाखिला दिलाते हैं, लेकिन यहां उन्हें शिक्षा नहीं, शोषण मिलता है। शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है और बेसिक शिक्षा विभाग मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रहा है।
अब सवाल ये है कि जब शिक्षा का मंदिर ही लूट का अड्डा बन जाए, तब अभिभावक जाएं तो जाएं कहां?
क्या कोई अधिकारी इन 'लूट स्कूलों' के खिलाफ कार्रवाई करेगा या बच्चों का भविष्य यूं ही अंधेरे में डूबता रहेगा?
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