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शाहजहांपुर जेल में श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम, बंदियों ने निकाली कावड़ यात्रा और किया शिव अभिषेक

स्टेट ब्यूरो हेड: योगेंद्र सिंह यादव, उत्तर प्रदेश

शाहजहांपुर। पवित्र श्रावण मास का उल्लास अब केवल मंदिरों और घाटों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इसकी धार्मिक भक्ति की गूंज जिला कारागार शाहजहांपुर तक पहुंच गई, जहां 220 पुरुष बंदियों एवं 21 महिला बंदियों ने उपवास रखकर भगवान शिव का विधिवत पूजन-अर्चन किया।

कारागार में इस बार बंदियों ने स्वयं कावड़ तैयार की, जिसके लिए आवश्यक सामग्री जन सहयोग से उपलब्ध कराई गई। कावड़ों को रंग-बिरंगे झालरों, गुब्बारों और धार्मिक प्रतीकों से सजाया गया। जेल परिसर स्थित शिव मंदिरों की सफेदी और पेंटिंग भी की गई, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।

श्रावण मास के द्वितीय सोमवार को विशेष आयोजन हुआ। कई दिन पहले से बंदियों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी थीं। फर्रुखाबाद के पंचाल घाट से गंगाजल मंगाया गया। बेलपत्र, धतूरा, शमी, पुष्प-मालाएं व पूजन सामग्री जिला प्रशासन के सहयोग से जुटाई गई

बंदियों ने खुद को शिव-पार्वती के रूप में श्रृंगारित किया, जिनकी वेशभूषा की व्यवस्था भी पहले से की गई थी। वरिष्ठ जेल अधीक्षक मिजाजी लाल सहित अन्य अधिकारी आयोजन के दौरान पूरे समय उपस्थित रहे। उन्होंने कावड़िया बने बंदियों को माल्यार्पण कर उनका उत्साहवर्धन किया।

इसके बाद कारागार परिसर में कावड़ यात्रा निकाली गई, जो विभिन्न अहातों से होती हुई अंत में बैरक संख्या 11 स्थित शिव मंदिर तक पहुंची। यहां वरिष्ठ जेल अधीक्षक मिजाजी लाल द्वारा भगवान शिव का जलाभिषेक किया गया। उन्होंने बंदियों और जेल स्टाफ के उज्ज्वल भविष्य और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। सभी बंदियों ने गंगाजल से अभिषेक कर भगवान शिव का पूजन किया।

महिला बंदियों ने भी अपनी बैरक में अलग कावड़ यात्रा निकाली और भजन-कीर्तन के साथ पूजा की। इस अवसर पर एक ब्रिटिश महिला बंदी ने भी कावड़ उठाकर भगवान शिव से बेहतरी की मन्नत मांगी, जिसने उपस्थित सभी लोगों को भावुक कर दिया।

वहीं, अपने पति की हत्या के आरोप में निरुद्ध महिला बंदी गायत्री, जिसने मानसिक असंतुलन के चलते अपराध किया था, अब सामान्य जीवन जी रही है और अन्य महिला बंदियों एवं बच्चों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से रह रही है। उसने भी कावड़ यात्रा में भाग लिया और शिव अभिषेक कर अपने अपराध के प्रायश्चित का प्रयास किया।

जेल प्रशासन द्वारा आयोजित यह आयोजन धार्मिक आस्था के साथ-साथ बंदियों में आत्मशुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाला रहा, जो न केवल एक अनुकरणीय पहल है, बल्कि समाज के लिए एक गहरा संदेश भी।


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