स्टेट ब्यूरो हेड: योगेंद्र सिंह यादव, उत्तर प्रदेश
शाहजहाँपुर, 31 जुलाई। पुलिस अधीक्षक श्री राजेश द्विवेदी ने आज आरटीसी (प्रशिक्षण केंद्र) शाहजहाँपुर का भ्रमण किया, जहां उन्होंने प्रशिक्षणरत महिला आरक्षियों से संवाद कर उनके प्रशिक्षण अनुभव, चुनौतियों और समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की। इस संवाद के दौरान उन्होंने ना केवल उनके उत्साहवर्धन के लिए प्रेरणादायक बातें साझा कीं, बल्कि जमीनी समस्याओं को लेकर भी फीडबैक लिया।
एसपी ने कहा — “आप सिर्फ वर्दीधारी नहीं, आने वाले समय की सशक्त प्रहरी हैं”
महिला आरक्षियों को संबोधित करते हुए एसपी द्विवेदी ने कहा, “यह प्रशिक्षण केवल तकनीकी दक्षता नहीं, बल्कि कर्तव्य, संवेदना और नेतृत्व की भावना भी सिखाता है। इसे केवल दायित्व नहीं, एक अवसर के रूप में स्वीकार करें।” उन्होंने उन्हें आत्मविश्वास और सेवा भावना के साथ कार्य करने की प्रेरणा दी।
प्रशिक्षण की गुणवत्ता, सुरक्षा और सुविधा पर विशेष निर्देश
निरीक्षण के दौरान एसपी द्विवेदी ने आरटीसी परिसर के पठन-पाठन कक्ष, हॉस्टल, मेस, परेड ग्राउंड एवं अन्य सुविधाओं की वस्तुनिष्ठ समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि—
- प्रशिक्षण सामग्री अद्यतन एवं पर्याप्त हो
- आवासीय परिसर स्वच्छ और सुरक्षित रखा जाए
- भोजन व्यवस्था संतुलित व पौष्टिक हो
- प्रत्येक महिला प्रशिक्षार्थी को सम्मानजनक व अनुकूल वातावरण मिले
प्रशिक्षकों को दिया विशेष दायित्व
एसपी ने प्रशिक्षण स्टाफ को निर्देशित किया कि वे प्रत्येक प्रशिक्षार्थी को व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन दें। उन्होंने कहा कि एक प्रशिक्षक का दायित्व केवल पाठ पढ़ाना नहीं, बल्कि एक बेहतर नागरिक और अनुशासित पुलिसकर्मी को गढ़ना होता है।
समापन पर आत्मविश्वास और सेवा भाव की प्रेरणा
समापन के अवसर पर उन्होंने महिला आरक्षियों से कहा कि एक प्रशिक्षित, जागरूक और समर्पित महिला आरक्षी न केवल कानून की रक्षक होती है, बल्कि समाज को नई दिशा भी देती है। उन्होंने सभी को आगामी सेवाकाल के लिए आत्मबल, संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने का संकल्प लेने का संदेश दिया।
इस अवसर पर अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण, अपर पुलिस अधीक्षक नगर, क्षेत्राधिकारी लाइन, प्रतिसार निरीक्षक, आरटीसी प्रभारी सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
यह संवाद न केवल महिला आरक्षियों के मनोबल को बढ़ाने वाला रहा, बल्कि प्रशिक्षण व्यवस्था को और अधिक प्रभावी एवं समावेशी बनाने की दिशा में एक ठोस कदम भी सिद्ध हुआ।
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