स्टेट ब्यूरो हेड योगेन्द्र सिंह यादव ✍🏻
शाहजहाँपुर, 16 अक्टूबर 2025।
रेशम विभाग एवं सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, रेशम अब केवल एक वस्त्र नहीं बल्कि किसानों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बन चुका है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में प्रदेश में रेशम उद्योग ने बीते 10 वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। आँकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में रेशम निर्यात में 28 गुना वृद्धि दर्ज की गई है, जो अन्य कृषि-आधारित क्षेत्रों की तुलना में सर्वाधिक है।
रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा किसानों को शहतूत के वृक्षों के रोपण में सहायता प्रदान की जा रही है। इससे न केवल भूमि का समुचित उपयोग हो रहा है, बल्कि कृषि के साथ-साथ किसानों को रेशम कीट पालन से अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है।
रेशम विभाग द्वारा पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु ‘रेशम मित्र पोर्टल’ की शुरुआत की गई है, जहाँ किसान ऑनलाइन पंजीकरण कर योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। साथ ही, “Soil to Silk” प्रदर्शन केंद्र एवं शुद्ध सिल्क की पहचान हेतु सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है।
रेशम उत्पादन को एफपीओ (FPO) के माध्यम से संगठित ढंग से बढ़ावा देने के लिए गोण्डा, बहराइच और फतेहपुर के एफपीओ के साथ त्रिपक्षीय अनुबंध किए गए हैं। इसमें केंद्रीय रेशम बोर्ड, बेंगलुरु द्वारा ₹371.56 लाख की केंद्रीय सहायता जारी की गई है।
वर्ष 2025-26 में प्रदेश में रेशम कीटपालन का लक्ष्य 74.25 लाख DFLs रखा गया था, जिसके सापेक्ष अगस्त 2025 तक 24.99 लाख DFLs का उत्पादन हो चुका है। इसी प्रकार रेशम धागे के 479.93 मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष 46.48 मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त किया गया है।
प्रदेश में रेशम उद्योग के विस्तार के लिए 300 नई रेशम सहकारी समितियों का गठन भी किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।
प्रदेश के कई जनपद — बहराइच, श्रावस्ती, लखीमपुर, सीतापुर, गोण्डा, बलरामपुर, बस्ती, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, पीलीभीत, शाहजहाँपुर, बिजनौर एवं सहारनपुर — में पहली बार राज्य पोषित ‘मुख्यमंत्री रेशम विकास योजना’ लागू की जा रही है।
इस योजना के तहत ₹100 लाख का बजट स्वीकृत किया गया है, जिसके अंतर्गत कृषकों को वृक्षारोपण, कीटपालन भवन निर्माण एवं उपकरण क्रय हेतु अनुदान सहायता दी जा रही है।
इस पहल से किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ प्रदेश में रेशम उद्योग को नई पहचान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
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