सुधीर सिंह कुम्भाणी, ब्यूरो रिपोर्ट — सीतापुर
सीतापुर।
जिलाधिकारी सीतापुर के एक नए आदेश ने पूरे जिले के गौशाला संचालक ग्राम प्रधानों में हड़कंप मचा दिया है। आदेश में कहा गया है कि गौवंश के भरण-पोषण हेतु जारी 50 रुपए प्रति पशु की धनराशि में ही केयरटेकर, औषधि और पैरावेट (पशु चिकित्सकीय सहयोगी) का खर्च भी शामिल किया जाए।
संचालकों का कहना है कि यह रकम पहले से ही केवल भूसा, चोकर और चूनी जैसे पशु चारे के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में उसी धनराशि से अतिरिक्त खर्च निकालना असंभव है।
“अब मजदूर मिलना भी नामुमकिन” — ग्राम प्रधानों की पीड़ा
कई ग्राम प्रधानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह आदेश सरकार की मंशा पर ग्रहण लगाने वाला है।
एक प्रधान ने कहा —
“गौशालाओं के संचालन में लाखों रुपए ब्याज पर लग चुके हैं। दो-दो, तीन-तीन महीने बाद भुगतान मिलता है। अब जब उसी रकम से दवा-दरू और मजदूरों की तनख्वाह देनी है, तो देखरेख संभव नहीं।”
एक अन्य प्रधान ने कहा —
“यह रकम सिर्फ चारे-पानी के लिए तय थी, अब दवा और पैरावेट का खर्च कहां से निकलेगा? इस हालत में गायों को भरपेट चारा मिलना भी मुश्किल हो जाएगा।”
सवाल उठे सरकार की नीति पर
ग्राम प्रधानों का कहना है कि अगर सरकार का मानना है कि 50 रुपए में सभी खर्च संभव हैं, तो पूर्व महीनों में हुए अतिरिक्त व्ययों की भरपाई भी की जानी चाहिए।
अन्यथा यह फरमान गौशालाओं के संचालन को ठप कर देगा और गौवंश के जीवन पर संकट खड़ा कर देगा।
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