ब्यूरो रिपोर्ट: अतुल पटेल, उन्नाव
उन्नाव/कानपुर नगर। सूचना का अधिकार (RTI) — जनता का वह हथियार है जिससे हर नागरिक सरकार और संस्थानों से सच जानने का हक रखता है। लेकिन जब जिम्मेदार अफसर और कॉलेज प्रशासन ही जानकारी देने से बचें, तो सवाल उठना लाज़मी हो जाता है।
ऐसा ही मामला अशोक महाविद्यालय, गंजमुरादाबाद (जिला उन्नाव) से जुड़ा है। यहाँ आवेदक मानसिंह पुत्र छंगालाल, निवासी महोलिया, पोस्ट हरईपुर, ने 17 मार्च 2025 को छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर नगर के जन सूचना अधिकारी को आरटीआई आवेदन भेजा।
उन्होंने चार बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी—
1️⃣ वर्ष 2010 से 2025 तक कॉलेज से पास हुए छात्रों की प्रमाणित सूची।
2️⃣ इन्हीं वर्षों में शासन से छात्रवृत्ति पाने वाले छात्रों के नामों की प्रमाणित सूची।
3️⃣ कॉलेज में संचालित BA, B.Sc, MA, M.Sc, B.Ed, BTC कोर्सों की मान्यता और मानकों का विवरण।
4️⃣ वर्तमान सत्र में पंजीकृत छात्रों की कुल संख्या व रजिस्टर की प्रमाणित प्रति।
आवेदन के साथ नियम अनुसार ₹10 शुल्क भी जमा किया गया (नोट संख्या 66B210680)। लेकिन छह महीने बाद भी न विश्वविद्यालय से, न महाविद्यालय प्रशासन से कोई जवाब मिला।
जन सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 7(1) के अनुसार, मांगी गई जानकारी 30 दिनों के भीतर देना अनिवार्य है। इसके बावजूद मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है।
आवेदक मानसिंह ने आरोप लगाया कि—
“पूरी प्रक्रिया नियमों के तहत पूरी करने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला। लगता है, कुछ छिपाया जा रहा है।”
सूत्रों के अनुसार, आवेदक अब राज्य सूचना आयोग में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी में हैं।
🔴 पत्रकार की नज़र से:
यह सिर्फ एक आरटीआई का मामला नहीं है, बल्कि सूचना के अधिकार की धज्जियाँ उड़ाने का जीता-जागता उदाहरण है। जब जनता सवाल पूछती है और अधिकारी चुप रहते हैं, तो यही चुप्पी भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों की जननी बन जाती है।
0 Comments