शाहजहांपुर: उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के कर-कमलों से आज “एक पेड़ मां के नाम 2.0” वृक्षारोपण महाअभियान 2025 का भव्य शुभारंभ पीपल घाट, शाहजहांपुर में किया गया। कार्यक्रम का आयोजन जिलाधिकारी धर्मेन्द्र प्रताप सिंह और प्रभागीय वनाधिकारी विनोद कुमार के निर्देशन में हुआ।
मुख्य अतिथि सुरेश कुमार खन्ना और नोडल अधिकारी बी. चन्द्रकलां (सचिव, महिला कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश शासन) ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हरिशंकरी और रुद्राक्ष जैसे पौधों का रोपण कर अभियान की शुरुआत की। कार्यक्रम में शासन, प्रशासन, सेना, नगर निगम, जनप्रतिनिधियों और हजारों जागरूक नागरिकों की सक्रिय सहभागिता ने इस महाअभियान को एक ऐतिहासिक क्षण में बदल दिया।
🌱 शाहजहांपुर में वृक्षारोपण के आंकड़े
- जनपद का कुल लक्ष्य: 56,76,400 पौध
- वन विभाग द्वारा: 12,60,000 पौध
- अन्य विभागों द्वारा: 44,16,400 पौध
- जियो टैगिंग: जिलाधिकारी के निर्देश पर 100% जियो टैगिंग सुनिश्चित की जाएगी
- पीपल घाट (2 हेक्टेयर भूमि): आज ही 3,200 पौधों का रोपण
🗣️ मुख्य अतिथि का उद्बोधन
मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा निर्धारित 37 करोड़ पौधारोपण के लक्ष्य को प्राप्त करने में शाहजहांपुर की सक्रिय भागीदारी सराहनीय है। उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया कि हर व्यक्ति अपने परिवार के साथ "मां के नाम एक पेड़" अवश्य रोपित करे और उसका संरक्षण करे, जिससे वनावरण को स्थायित्व और समाज को पर्यावरणीय सुरक्षा मिल सके।
👥 विशिष्ट अतिथि और सहभागी गण
- महापौर अर्चना वर्मा
- भा.ज.पा. जिलाध्यक्ष के.सी. मिश्रा
- एमएलसी डॉ. सुधीर गुप्ता
- जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष डी.पी.एस. राठौर
- महानगर जिलाध्यक्ष शिल्पी गुप्ता
- पूर्व जिला पंचायत सदस्य वीरेन्द्र पाल सिंह यादव
- पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी
- मुख्य विकास अधिकारी डॉ. अपराजिता सिंह सिनसिनवार
- उप प्रभागीय वनाधिकारी डॉ. सुशील कुमार
- क्षेत्रीय वनाधिकारी शत्रुघ्न प्रसाद
🤝 स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी
- लोक भारती
- गंगा विचार मंच
- युवा सर्व कल्याण समिति, उत्तर प्रदेश
- वर्क एनजीओ
- मानवता वेलफेयर सोसायटी
- ईको क्लब (बेसिक शिक्षा विभाग)
- सहयोगी संस्था
📢 कार्यक्रम संचालन
डॉ. विनय कुमार सक्सेना, जिला परियोजना अधिकारी (जिला गंगा समिति) द्वारा किया गया।
"एक पेड़ मां के नाम" अभियान न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सार्थक पहल है, बल्कि यह संस्कार, संवेदना और सतत विकास के मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास भी है।
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