ब्यूरो रिपोर्ट: कल्लू उर्फ रजनीश, लखनऊ
उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व से जुड़ी शिकायतों की जांच प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए अब लेखपाल स्तर पर की जा रही जांचों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय में लगातार मिल रही जन शिकायतों के मद्देनज़र यह निर्णय लिया गया है, जिससे पीड़ितों को सही और निष्पक्ष न्याय मिल सके।
अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि अब से राजस्व मामलों की जांच केवल नायब तहसीलदार या उससे ऊपर के अधिकारी ही करेंगे। लेखपाल की रिपोर्ट को अंतिम मानने की प्रथा पर तत्काल रोक लगा दी गई है।
सरकार का कहना है कि कई शिकायतकर्ताओं को लेखपाल स्तर की रिपोर्ट के कारण न्याय नहीं मिल पा रहा था, क्योंकि अनेक मामलों में न तो शिकायतकर्ता को सुना जाता था और न ही मौके की सही जांच होती थी।
अब नायब तहसीलदार सीधे शिकायतकर्ता की बात सुनेंगे और उसके बाद ही रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। साथ ही, मामलों का अंतिम निस्तारण एसडीएम स्तर पर किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि अब केवल काग़ज़ी रिपोर्ट नहीं, बल्कि वास्तविक सुनवाई के आधार पर न्याय मिलेगा।
यह बदलाव जनता दर्शन कार्यक्रमों में आए हजारों मामलों की समीक्षा के बाद लिया गया है, जहां यह साफ़ हुआ कि निचले स्तर पर जांच में भारी गड़बड़ी और लापरवाही हो रही है।
मुख्यमंत्री कार्यालय का यह कदम जनता की आवाज़ को प्राथमिकता देने और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है। ग्रामीणों, किसानों और आम नागरिकों को इससे काफी राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
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