स्टेट ब्यूरो हेड: योगेंद्र सिंह यादव ✍️
शाहजहांपुर।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय परिसर स्थित इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी, शाहजहांपुर के कार्यालय में अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा “आयुर्वेद की दृष्टि में गोपाष्टमी पर्व” विषय पर एक विशेष विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी में चिकित्सकों ने बताया कि आयुर्वेद की दृष्टि से गोपाष्टमी पर्व गायों के पोषण, स्वास्थ्य और सेवा से जुड़ा है। आयुर्वेद में गाय को गौमाता का दर्जा दिया गया है, जिनके उत्पाद — दूध, घी, दही, गौमूत्र और गोबर — “पंचगव्य” कहलाते हैं और औषधि के रूप में उपयोग किए जाते हैं।
चिकित्सकों ने कहा कि इस दिन गायों की पूजा, सेवा और पौष्टिक आहार प्रदान करना शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह पर्व आयुर्वेद के पंचमहाभूत सिद्धांत — आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी — के संतुलन को भी दर्शाता है।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जिला अध्यक्ष डॉ. विजय जौहरी ने कहा कि “गायों के ठंड से बचाव हेतु रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा गौशाला संचालकों को नि:शुल्क त्रिपाल उपलब्ध कराए जाएंगे।” उन्होंने गौसेवा को प्रकृति और पर्यावरण संतुलन के लिए आवश्यक बताया।
इस अवसर पर जिला अस्पताल आयुष विभागाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र कुशवाह ने योग एवं आयुर्वेद विषयक पत्रिकाएं भेंट कीं और आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार को जन-जन तक पहुंचाने की बात कही।
आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार गोपाष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने प्रथम बार गाय चराने का कार्य प्रारंभ किया था, इसी कारण उन्हें गोपाल कहा गया।
📍कार्यक्रम में डॉ. विजय जौहरी (अध्यक्ष, अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन, शाहजहांपुर) सहित कई आयुर्वेद चिकित्सक उपस्थित रहे।

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