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एक करोड़ की लागत से खरीदे गए ई-रिक्शे बने शोपीस, न कूड़ा ढोया न काम आए — प्रधानों के निजी उपयोग का आरोप

 

ब्यूरो रिपोर्ट: सुधीर सिंह कुम्भाणी, सीतापुर

सकरन/सीतापुर।

विकास खंड सकरन की ग्राम पंचायतों में कूड़ा ढोने के उद्देश्य से लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से खरीदे गए ई-रिक्शे अब उपयोग के अभाव में जंग खा रहे हैं। कई ई-रिक्शे ग्राम प्रधानों के घरों के बाहर धूल फांकते खड़े हैं, जबकि कुछ का उपयोग प्रधानों द्वारा अपने निजी कार्यों—यहां तक कि जानवरों का चारा ढोने—में किया जा रहा है।

वर्ष 2023-24 में सकरन ब्लॉक की 54 ग्राम पंचायतों के लिए प्रत्येक ₹1,85,000 की दर से ई-रिक्शे खरीदे गए। कुल ₹99,90,000 (करीब एक करोड़) की लागत से खरीदे गए इन वाहनों का उद्देश्य गांवों का कूड़ा एकत्र कर आरआर सेंटर तक पहुंचाना था। मगर आश्चर्यजनक रूप से इन ई-रिक्शों का एक भी दिन कूड़ा ढोने में उपयोग नहीं किया गया

स्थानीय जांच से पता चला कि ग्राम पंचायत सरैया कला, कोनसर, खानपुर, अदवारी, सकरन, मोहरी, ताजपुर सलोली, बोहरा, शाहपुर, रेवान, इस्माइलपुर सहित कई गांवों में ई-रिक्शा प्रधानों के घरों पर खड़ा है और कई जगह निजी इस्तेमाल में लिया जा रहा है।

सबसे गंभीर आरोप यह है कि ई-रिक्शा खरीद का टेंडर ब्लॉक कर्मियों ने अपनी पसंदीदा फर्मों को दिया, जिसमें अनियमितता और फर्जीवाड़े की आशंका जताई जा रही है।

आरआर सेंटर भी नहीं बने, फिर भी खरीद ली गई गाड़ियाँ
सकरन ब्लॉक की लगभग 31 ग्राम पंचायतों—जैसे सकरन, खमरिया कटेसर, पतरासा, काजीपुर आदि—में अभी तक कूड़ा एकत्र करने के लिए आरआर सेंटर बने ही नहीं हैं। इसके बावजूद दो वर्ष पहले ई-रिक्शे खरीद लिए गए, जो अब बेकार पड़े-पड़े जंग खा रहे हैं।

खंड विकास अधिकारी श्रीश कुमार गुप्ता ने कहा कि कुछ ग्राम पंचायतें सप्ताह में एक बार ई-रिक्शे की फोटो अपलोड करती हैं। पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।

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