स्टेट ब्यूरो हेड: योगेंद्र सिंह यादव, उत्तर प्रदेश
शाहजहांपुर – जनपद के रौजा थाना क्षेत्र से एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। ग्राम जमुका निवासी एक पीड़ित पिता ने जिलाधिकारी शाहजहांपुर को प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया है कि उसकी नाबालिग पुत्री को दिनदहाड़े अगवा कर लिया गया और पुलिस अब तक अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं कर रही।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रार्थी नन्हे पुत्र रामविलास का कहना है कि 29 मई 2025 को वह किसी परिजन के अंतिम संस्कार में गया हुआ था, तभी उसकी 16 वर्षीय पुत्री सलोनी को तीन युवक जबरदस्ती मोटरसाइकिल पर उठाकर ले गए। घर पर मौजूद उसकी छोटी बेटी शिवानी ने घटना की जानकारी दी।
पहले भी कर चुका था अपहरण, फिर भी पुलिस मौन!
पीड़ित के अनुसार, इस मामले का मुख्य आरोपी शिवम पुत्र रामलदैते, ग्राम मिश्रीपुर थाना निगोही का निवासी है, जिसने पहले भी उसकी बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले गया था। उस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत थाना रौजा में एफआईआर संख्या 205/2025 दर्ज की गई थी और किशोर न्याय बोर्ड ने लड़की को पुनः उसके पिता को सुपुर्द किया था।
लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहले मामले में अभियुक्त गिरफ्तार नहीं हुआ और अब उसी आरोपी ने अपने दो साथियों विमलेश व मनोज के साथ दोबारा वही अपराध कर डाला। इस बार मुकदमा 323/2025, धारा 137(2) बीएनएस के तहत दर्ज हुआ, लेकिन पीड़ित का आरोप है कि पुलिस ने अब तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया।
'गुंडा प्रवृत्ति के हैं आरोपी, हमें जान से मार सकते हैं' – पीड़ित की चीख
प्रार्थी नन्हे ने कहा कि आरोपी बेहद गुंडा किस्म के हैं और उन्हें पूरा संदेह है कि वे उसके परिवार पर फिर कोई अप्रिय घटना कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस की लापरवाही के चलते उनकी नाबालिग बेटी एक बार फिर अपराधियों के चंगुल में है और परिवार भय के साए में जी रहा है।
प्रशासन और पुलिस पर सवाल
इस पूरे मामले ने एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली और बाल संरक्षण तंत्र पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जब एक आरोपी पहले से ही पॉक्सो के मामले में संलिप्त है और फिर वही दोबारा उसी लड़की को उठा ले जाता है, तो ऐसे में पुलिस की निष्क्रियता पर जनता को गुस्सा आना लाज़मी है।
पीड़ित की मांग
पीड़ित ने जिलाधिकारी से गुहार लगाई है कि मामले की गंभीरता को समझते हुए जल्द से जल्द आरोपीगणों को गिरफ्तार कर सलोनी को पिता की सुपुर्दगी में सौंपा जाए, साथ ही परिवार को सुरक्षा भी मुहैया कराई जाए।
क्या प्रशासन नींद से जागेगा या एक और बेटी का जीवन अंधेरे में डूब जाएगा?
“बेटी बचाओ” केवल नारा नहीं, अब एक पिता की आखिरी उम्मीद है।
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