ब्यूरो चीफ: अमित गुप्ता, सीतापुर
सीतापुर। जिले में बिजली विभाग की कार्यप्रणाली और अधिकारियों की मनमानी एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। मामला कारागार राज्य मंत्री सुरेश राही से जुड़ा है, जिनकी सिफारिशों को भी बिजली विभाग के कर्मचारी ठेंगा दिखा रहे हैं।
मामला जिले के एक इलाके में 20 दिनों से बिजली न आने का है। क्षेत्रीय लोगों की शिकायत पर मंत्री सुरेश राही ने जेई (JE) को फोन किया और खराब ट्रांसफॉर्मर बदलने की मांग की। जवाब मिला —
"खुद आकर ट्रांसफॉर्मर बदल लो!"
इतना ही नहीं, मंत्री ने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की मैनेजिंग डायरेक्टर रिया केजरीवाल को फोन मिलाया, लेकिन उन्होंने कॉल तक रिसीव नहीं किया।
थक-हारकर मंत्री जी धरने पर बैठ गए।
बात यहीं नहीं रुकी। मंत्री सुरेश राही खुद मौके पर पहुंचे और ट्रांसफॉर्मर उतारने की पहल तक करनी पड़ी।
अब सवाल उठता है कि जब एक राज्य मंत्री की ही बात नहीं सुनी जा रही, तो आम जनता किस दरवाजे पर जाए?
यह पूरा मामला प्रशासनिक लापरवाही और अधिकारियों की बेलगाम कार्यशैली को उजागर करता है।
सोशल मीडिया पर मंत्री और अधिशाषी अभियंता के बीच का संवाद वायरल हो गया है, जिसमें मंत्री के अनुरोध को भी बेशर्मी से टाल दिया गया।
जनता का कहना है कि अगर मंत्री के पास भी 'पावर' नहीं, तो शायद अब नेताओं को भी अगरबत्ती, नारियल और प्रसाद लेकर अधिकारियों की चौखट पर "विनती" करनी पड़ेगी।
यह घटनाक्रम न केवल एक ट्रांसफॉर्मर की बात है, बल्कि जन प्रतिनिधियों की गिरती हुई हैसियत और प्रशासन के अड़ियल रवैये की एक बड़ी बानगी भी है।
0 Comments