सीतापुर बिसवां तहसील के शहीद पार्क में बीती 23 जनवरी से क्रमिक अनशन पर बैठे अधिवक्ताओं का आंदोलन सोमवार को आमरण अनशन में बदल गया। इस अनशन के कारण स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया। अनशनकारियों ने आरोप लगाया था कि दो गुमशुदा बच्चों—शायरीन और कार्तिक—की बरामदगी को लेकर पुलिस की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
गुमशुदा बच्चों की तलाश में पुलिस की लापरवाही के खिलाफ अधिवक्ता इंद्रपाल वर्मा, क्षितिज मिश्रा और नईम अंसारी ने क्रमिक अनशन शुरू किया था। यह आंदोलन तब और तीव्र हो गया जब किसी प्रशासनिक अधिकारी ने उनके मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया और बच्चों की बरामदगी के लिए कोई आश्वासन नहीं दिया गया। इसके बाद, अनशनकारी अधिवक्ताओं ने आमरण अनशन की ओर कदम बढ़ा दिया।
जब प्रशासन को इस आंदोलन के बढ़ते असर का अहसास हुआ, तो उप जिलाधिकारी मनीष कुमार ने तत्काल मौके पर पहुंचकर अनशनकारियों से बातचीत की। उन्होंने अधिवक्ता इंद्रपाल वर्मा से मुलाकात की और उन्हें जूस पिलाकर अनशन समाप्त करने की अपील की। उप जिलाधिकारी ने यह भी आश्वासन दिया कि बच्चों की बरामदगी के लिए प्रशासन गंभीर है और शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
इस आश्वासन के बाद अधिवक्ता इंद्रपाल वर्मा और उनके सहयोगियों ने अनशन समाप्त कर दिया। 15 दिन के भीतर दोनों गुमशुदा बच्चों की बरामदगी का वादा किया गया, जिसके बाद अनशनकारियों ने अपनी भूख हड़ताल खत्म की।
अधिवक्ता इंद्रपाल वर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रशासन ने आखिरकार उनकी बात सुनी और बच्चों की खोज में कार्रवाई करने का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि अगर बच्चों की बरामदगी में कोई और लापरवाही होती है, तो वे फिर से विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर हो सकते हैं।
स्थानीय लोगों और परिवारों ने भी प्रशासन के प्रति नाराजगी जताई थी, लेकिन अब प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई के बाद माहौल कुछ शांत हुआ है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन अपने वादे पर खरा उतरता है और बच्चों की बरामदगी को लेकर क्या कदम उठाता है।
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