ब्यूरो रिपोर्ट – सुधीर सिंह कुम्भाणी, सीतापुर ✍️
सकरन (सीतापुर):
विकास खंड सकरन में मनरेगा योजनाओं में भ्रष्टाचार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। ग्राम पंचायत कौवाखेरा के प्रधान, तकनीकी सहायक सचिन राजवंशी और रोजगार सेवक पर खुलेआम मनमानी व फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ये लोग अधिकारियों के आदेशों की भी अनदेखी कर रहे हैं और एपीओ के संरक्षण में योजनाओं को निजी लाभ का साधन बना रखा है।
मीडिया टीम जब सुबह 8:15 बजे ग्राम पंचायत कौवाखेरा में चल रहे कार्य स्थल पर पहुंची, तो वहां कोई मजदूर मौजूद नहीं मिला। ग्रामीण अमित, सुरेश, कल्लू, ममता और रेखा ने बताया कि ग्राम पंचायत में लंबे समय से मनरेगा कार्यों में बड़े पैमाने पर फर्जी एन.एम.एम.एस. (NMMS) खेल चल रहा है। शिकायतें देने के बावजूद न तो एपीओ सकरन और न ही तकनीकी सहायक ने कोई कार्रवाई की।
ग्रामीणों का आरोप है कि एपीओ, तकनीकी सहायक व रोजगार सेवक खुलेआम भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि मनरेगा और राज्य वित्त की निधियों से कराए गए सभी कार्यों की उच्च स्तरीय जांच खंड विकास अधिकारी सकरन द्वारा कराई जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि भ्रष्टाचार जारी रहा, तो वे इस पूरे मामले की शिकायत जिला अधिकारी सीतापुर व डीसी मनरेगा सीतापुर से जीपीएस फोटो और शपथ पत्र सहित करेंगे।
कई ग्राम पंचायतों में जॉब कार्ड जनसंख्या से अधिक
सकरन ब्लॉक के कौवाखेरा, देवरिया खुर्द, रसूलपुर, नसीरपुर, मोहारी, धनावा, उमरा खुर्द, उमरा कला, पतरासा और रेवान ग्राम पंचायतों में भी मनरेगा योजनाओं में गड़बड़ी का खेल जारी है। बताया गया है कि यहां मजदूरों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए हैं, कई जगह तो कुल जनसंख्या से अधिक कार्ड जारी कर दिए गए।
ग्रामीणों ने बताया कि 80 से 90 वर्ष के बुजुर्गों को भी मजदूरी करते हुए दिखाया गया है, जबकि जमीन पर कार्यों की स्थिति बेहद दयनीय है। इसके बावजूद उच्च अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से तत्काल जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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