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जिलाधिकारी धर्मेन्द्र प्रताप सिंह |
योगेंद्र सिंह यादव, ब्यूरो चीफ, शाहजहांपुर
जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने शासनादेश के क्रम में अवगत कराया है कि लोक शिकायत निस्तारण की प्रक्रिया में आंशिक संशोधन किया गया है। इसके तहत मासिक मूल्यांकन के मानकों में बदलाव किए गए हैं, जिससे शिकायतों के निस्तारण में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।
संशोधित मूल्यांकन मानक
- फीडबैक की गणना में बदलाव – अब उच्च अधिकारियों द्वारा स्पेशल क्लोज किए गए असंतुष्ट फीडबैक को कुल असंतुष्ट फीडबैक से घटाया नहीं जाएगा। बल्कि, आवेदक द्वारा दिए गए संतुष्ट फीडबैक के प्रतिशत के आधार पर अंक दिए जाएंगे।
- शिकायतकर्ता से संपर्क का महत्व – मासिक मूल्यांकन में यह भी देखा जाएगा कि संबंधित अधिकारी ने शिकायतकर्ता से संपर्क किया या नहीं।
90% संतोषजनक फीडबैक अनिवार्य
जिलाधिकारी ने विभागाध्यक्षों और कार्यालयध्यक्षों को निर्देशित किया है कि आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत निस्तारण के बाद 90 प्रतिशत संतोषजनक फीडबैक प्राप्त होना अनिवार्य है। लेकिन समीक्षा में पाया गया कि कई अधिकारियों के स्तर पर यह मानक पूरा नहीं किया जा रहा, जिससे जनपद की मूल्यांकन रिपोर्ट प्रभावित हो रही है।
सख्त कार्यवाही के निर्देश
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि शिकायत निस्तारण की गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर तीन चरणों में कार्यवाही की जाएगी:
- प्रथम चरण – 90% से कम संतोषजनक फीडबैक पाए जाने पर पहली बार चेतावनी दी जाएगी और इसकी सूचना मुख्यमंत्री कार्यालय को दी जाएगी।
- द्वितीय चरण – पुनः 90% से कम संतोषजनक फीडबैक मिलने पर संबंधित अधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाएगी।
- तृतीय चरण – यदि प्रतिकूल प्रविष्टि के बावजूद सुधार नहीं हुआ और फीडबैक 90% से कम रहा, तो अधिकारी के निलंबन की संस्तुति कर दी जाएगी।
इसके अलावा, जांच अधिकारी को अनिवार्य रूप से शिकायतकर्ता से संपर्क करना होगा, और उसकी रिपोर्ट में इसका स्पष्ट उल्लेख करना आवश्यक होगा।
शिकायत निस्तारण में पारदर्शिता होगी अनिवार्य
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि शिकायत निस्तारण में शिकायतकर्ता की संतुष्टि प्राथमिकता होनी चाहिए। यदि मासिक मूल्यांकन रिपोर्ट में कमी पाई गई, तो अधिकारियों के विरुद्ध नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार होंगे।
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