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वन विभाग की सरपरस्ती में कटे सैकड़ों प्रतिबंधित पेड़, हरियाली पर संकट

सुधीर सिंह कुम्भाणी की रिपोर्ट

सकरन (सीतापुर)।
थाना क्षेत्र सकरन में बीते रविवार की रात वन विभाग की मिलीभगत से हरे-भरे पेड़ों पर आरा चल गया। अलग-अलग गांवों में एक ही रात सैकड़ों देशी आम और जामुन के साथ कई कदम्ब, बेल, बबूल व पाकड़ के पेड़ धराशायी कर दिए गए।

बिना अनुमति काटे गए पेड़

जानकारी के अनुसार, लालेपुरवा गांव में लकड़कट्टों ने वन विभाग की शह पर करीब एक सैकड़ा आम व जामुन के पेड़ काट डाले। वहीं दम्मन बेलवा में 3 आम और 4 जामुन के विशाल वृक्ष गिरा दिए गए।

सरकारी वृक्ष भी बेंचे गए

रउवापुर नेवादा ग्राम पंचायत में पूर्व प्रधान पुत्ती लाल द्वारा निधि से लगाए गए कदम्ब के दो पेड़ गांव निवासी बांके लाल और भंगहा निवासी एक कथित पत्रकार मिथलेश ने मिलकर कटवा कर बेच दिए।
इसी तरह रुद्रपुर गांव में मो. इकबाल खान ने अपने खेत किनारे लगे 4 जामुन के पेड़ वनकर्मी अकील अहमद की मिलीभगत से कटवा दिए।

रिश्वत और जुर्माने का खेल

सूत्रों के मुताबिक, बाछेपुर में ठेकेदार मो. हामिद खां और पत्रकार मिथलेश से बबूल व पाकड़ के पेड़ों पर कमीशन न मिलने के चलते 5 हजार रुपये जुर्माना वसूल किया गया, लेकिन रसीद नहीं दी गई। आरोप है कि इसके बाद मिथलेश को सरकारी जमीन पर लगे कदम्ब के पेड़ काटने की मौखिक अनुमति दे दी गई।

अधिकारी बने मौन

इस मामले में जब रेंजर बिसवां अहमद कमाल सिद्दीकी से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन लगातार अनरिचेबल ही मिला।

सवालों के घेरे में पुलिस व वन विभाग

एक ही रात अलग-अलग गांवों में प्रतिबंधित प्रजातियों के दर्जनों वृक्षों के कटने से पुलिस और वन विभाग की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो हरियाली खत्म होकर पर्यावरण पर बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।


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