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हरित भविष्य की ओर कदम: डॉ. राजेश्वर सिंह ने दिए पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के अहम सुझाव

 

लखनऊ, 15 जनवरी 2025। सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच ‘X’ के माध्यम से पर्यावरण से जुड़ी गंभीर चिंताओं को साझा किया और जनता को जागरूक करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि यदि हम पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता नहीं देंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ हवा, जल और हरित वातावरण से वंचित होना पड़ेगा।

डॉ. सिंह ने विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर चिंता व्यक्त करते हुए ऊर्जा और संसाधनों की बचत, प्लास्टिक कचरे को कम करने, भोजन की बर्बादी रोकने और वृक्षारोपण को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की है।

भोजन की बर्बादी पर गंभीर चिंता

डॉ. सिंह ने बताया कि हर साल वैश्विक स्तर पर उत्पादित कुल भोजन का लगभग एक-तिहाई हिस्सा बर्बाद हो जाता है, जो करीब 1.3 अरब टन के बराबर है। भारत में यह समस्या और भी गंभीर है, जहां सालाना 40% भोजन (लगभग 58 मिलियन टन) बर्बाद होता है।

उन्होंने कहा कि अगर इस बर्बाद किए गए भोजन को सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो लाखों जरूरतमंद लोगों का पेट भरा जा सकता है, जो हर दिन भूखे सोते हैं। साथ ही, भोजन की बर्बादी से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ता है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या और विकट हो जाती है।

डॉ. सिंह ने खाद बनाने (कम्पोस्टिंग) और भोजन को सही तरीके से स्टोर करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि अपशिष्ट को कम किया जा सके।

ऊर्जा की बर्बादी रोकने और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने पर बल

डॉ. राजेश्वर सिंह ने ऊर्जा संरक्षण को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि भारत में हर साल लगभग 30% बिजली खराब अवसंरचना के कारण बर्बाद हो जाती है। इसके अलावा, देश के 80% घर अभी भी गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर हैं, जिससे कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होती है और जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा मिलता है।

उन्होंने सुझाव दिया कि—

एलईडी बल्बों का उपयोग पारंपरिक बल्बों की तुलना में 80% तक ऊर्जा बचा सकता है।

सौर ऊर्जा प्रणाली अपनाने से कार्बन फुटप्रिंट को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

ऊर्जा-कुशल उपकरणों का उपयोग कर बिजली की खपत को कम किया जा सकता है।

प्लास्टिक कचरे का बढ़ता खतरा

डॉ. सिंह ने प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को भी उठाया। उन्होंने बताया कि भारत हर साल 3.3 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है, जिसमें से केवल 60% ही पुनर्चक्रित (रीसायकल) किया जाता है।

उन्होंने चेतावनी दी कि बचा हुआ प्लास्टिक लैंडफिल और महासागरों में चला जाता है, जिससे प्रदूषण फैलता है और समुद्री जीवन को गंभीर क्षति पहुँचती है। वैश्विक स्तर पर हर साल 8 मिलियन टन प्लास्टिक महासागरों में प्रवेश करता है, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए घातक है।

उन्होंने नागरिकों से प्लास्टिक का उपयोग कम करने, पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने और वैकल्पिक पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों का उपयोग करने की अपील की।

वनों की कटाई और जल प्रदूषण पर चिंता

डॉ. सिंह ने बताया कि भारत में हर साल 0.5 मिलियन हेक्टेयर से अधिक वन काटे जाते हैं, जिससे जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है। मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में वनों की कटाई की दर अधिक है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में 80% से अधिक अपशिष्ट जल बिना उपचार के छोड़ा जाता है, जिससे गंगा और अन्य नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।

वायु प्रदूषण पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में हैं। दिल्ली की वायु गुणवत्ता WHO के सुरक्षित मानकों से 10-20 गुना अधिक खराब हो जाती है, जिससे गंभीर सांस संबंधी बीमारियाँ हो रही हैं।

युवाओं और नागरिकों की भूमिका

डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा कि युवाओं को पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने बताया कि—

✔ भोजन और प्लास्टिक की बर्बादी को कम करना

✔ ऊर्जा बचाना

✔ अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना

✔ स्वच्छता अभियान में भाग लेना

जैसे छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के लिए सुझाए गए कदम

डॉ. सिंह ने नागरिकों से निम्नलिखित उपाय अपनाने की अपील की—

✅ रिड्यूस, रीयूज़, रीसायकल (Reduce, Reuse, Recycle):

एक टन कागज को पुनर्चक्रित करने से 17 पेड़ और 7000 गैलन पानी की बचत होती है।

प्लास्टिक का कम उपयोग करें और उसे पुनः उपयोग में लाएँ।

ऊर्जा बचत करें:

एलईडी बल्बों का उपयोग करें, जिससे 80% तक ऊर्जा की बचत हो सकती है।

सौर ऊर्जा को अपनाएँ।

भोजन की बर्बादी कम करें:

कम्पोस्टिंग करें और भोजन को सही तरीके से स्टोर करें।

वृक्षारोपण को बढ़ावा दें:

एक पेड़ हर साल लगभग 48 पाउंड CO₂ अवशोषित करता है।

स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर अधिक वृक्षारोपण करें।

जल संरक्षण करें:

लीकेज ठीक करें और जल-कुशल उपकरणों का उपयोग करें, जिससे लाखों लीटर पानी की बचत हो सकती है।

सभी नागरिकों से अपील

डॉ. राजेश्वर सिंह ने अंत में सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे पर्यावरण की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभाएँ और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित भविष्य का निर्माण करें।

उन्होंने कहा कि—

"अगर हम सभी मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करें, तो यह पृथ्वी को बचाने में एक बड़ा योगदान हो सकता है।"

रिपोर्ट: लखनऊ संवाददाता


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