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लखनऊ में मौत के कुएं बनते अवैध अस्पताल, नहीं कोई निगरानी व्यवस्था

काल्पनिक चित्र

विशेष संवाददाता लखनऊ 

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर चल रहे अवैध अस्पतालों, नर्सिंग होम्स और क्लीनिकों की भरमार ने आमजन की जान को जोखिम में डाल दिया है। बिना रजिस्ट्रेशन, प्रशिक्षित स्टाफ और जरूरी संसाधनों के यह संस्थान खुलेआम ऑपरेशन थिएटर चला रहे हैं, दवाइयां दे रहे हैं और आपातकालीन सेवाएं तक संभाल रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी और मौन स्वीकृति

जिला स्वास्थ्य विभाग के पास प्रत्येक निजी अस्पताल, नर्सिंग होम व डायग्नोस्टिक सेंटर का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि कई ऐसे अस्पताल वर्षों से अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं, जिनका न तो पंजीकरण है और न ही कोई मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टाफ। कई मामलों में नर्सिंग स्टाफ ही डॉक्टर बनकर मरीजों का इलाज करते देखे गए हैं।

प्रशासनिक उदासीनता बनी जानलेवा

स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर जांच की बातें की जाती हैं, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही न होने से यह अवैध सिस्टम और मजबूत होता जा रहा है। कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां गलत इलाज या संक्रमण से मरीजों की हालत बिगड़ी, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ नोटिस थमा दिया गया।

बड़े हादसों के बाद भी नहीं सुधर रहा सिस्टम

पिछले कुछ वर्षों में लखनऊ में कई ऐसे मामले सामने आए, जहां अवैध रूप से संचालित अस्पतालों में इलाज के दौरान मरीजों की मौत हुई, लेकिन दोषियों पर न कार्रवाई हुई और न ही इन अस्पतालों को स्थायी रूप से सील किया गया। इसके उलट, कुछ दिन बाद वही अस्पताल फिर से नए नाम से खुल जाते हैं।

RTI और सामाजिक संगठनों का खुलासा

विभिन्न सामाजिक संगठनों और आरटीआई कार्यकर्ताओं ने जब इस दिशा में पड़ताल की तो सामने आया कि शहर के कई इलाकों — इंदिरानगर, चिनहट, ठाकुरगंज, और गोमतीनगर सहित — सैकड़ों की संख्या में अस्पताल बिना पंजीकरण चल रहे हैं। इनमें से कई का कोई मेडिकल बैकग्राउंड भी नहीं है।

मांग: हो हाई लेवल जांच और सख्त कार्रवाई

जनहित में यह मांग उठ रही है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग को लखनऊ में संचालित सभी निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम्स और क्लीनिकों का भौतिक सत्यापन कराना चाहिए। साथ ही जो भी संस्थान बिना अनुमति के चल रहे हैं, उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

यदि समय रहते इन पर नियंत्रण नहीं किया गया तो यह अव्यवस्था आने वाले समय में किसी बड़े जन स्वास्थ्य संकट का कारण बन सकती है।

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