सुधीर सिंह कुम्भाणी, ब्यूरो रिपोर्ट
सकरन (सीतापुर)।
विकास खंड सकरन के देवतापुर और कीर्तापुर ग्राम पंचायतों की गौशालाओं में गोवंश संरक्षण योजना की हकीकत जमीनी स्तर पर बिल्कुल उलट दिखाई दी। सरकारी रजिस्टरों में तो सैकड़ों गोवंशों का रिकॉर्ड दर्ज है, लेकिन मौके पर गिनती के ही मवेशी नजर आए।
देवतापुर गौशाला की बदहाल तस्वीर
देवतापुर की गौशाला में न तो उचित चारे का इंतजाम है, न पानी की व्यवस्था और न ही ठिकाने की समुचित सुविधा। कई गोवंश कुपोषण की शिकार हालत में हैं, वहीं कुछ की रहस्यमयी मौत की खबरें भी सामने आई हैं।
कीर्तापुर में भी वही हालात
कीर्तापुर गौशाला में भी हालात अलग नहीं हैं। ग्रामीणों के मुताबिक प्रधान और सचिव की मिलीभगत से सरकारी धन का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। खर्च के आंकड़े कागजों में बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए जाते हैं, जबकि हकीकत में गोवंश भूख-प्यास से बेहाल हैं।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल रहे हैं। पशु विभाग और खंड प्रशासन की चुप्पी से यह संदेह और गहरा हो रहा है कि कहीं यह सब उनकी सरपरस्ती में तो नहीं हो रहा।
कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों और समाजसेवियों ने जिलाधिकारी से उच्च स्तरीय जांच कराकर प्रधान, सचिव और संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो और भी गोवंश भूख-प्यास से दम तोड़ देंगे।
📌 “गौशालाओं में गोवंश नहीं, भ्रष्टाचार पल रहा — देवतापुर-कीर्तापुर में प्रशासन की नींद गायब।”
📌 “रजिस्टरों में सैकड़ों गायें, जमीन पर मुट्ठीभर — प्रधान-सचिव की करतूत बेनकाब।”
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