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ओड़ाझार ग्राम पंचायत में मनरेगा घोटाले का खुलासा — एक ही मजदूर कई रोलों में, ग्राम प्रधान पर फर्जीवाड़े के आरोप

ब्यूरो रिपोर्ट — सुधीर सिंह कुंभाणी ✍️

सकरन (सीतापुर)। मनरेगा योजना के तहत रोजगार देने के नाम पर ग्राम पंचायत ओड़ाझार में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। जांच में पाया गया है कि कई मास्टर रोलों में एक ही मजदूर का नाम बार-बार दर्ज किया गया, जिससे लाखों रुपये की सरकारी धनराशि का दुरुपयोग हुआ है।

ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान ने अपने परिजनों और समर्थकों के नाम से फर्जी हाजिरी लगाकर मजदूरी निकाल ली, जबकि कई मजदूर जो गांव से बाहर काम कर रहे हैं, उनके नाम पर भी भुगतान जारी किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि कार्यस्थल पर कार्य मानकविहीन हैं और ठेकेदारी प्रथा के तहत तकनीकी सहायक से फर्जी मापन पुस्तिकाएं (एम.बी.) तैयार करवाई जा रही हैं, जिससे सरकारी धन की भारी हेराफेरी हो रही है।

ग्रामीण किशोरी, अहमद, नेतराम, बबल, कल्लू, मालती आदि ने बताया कि उन्हें ग्राम पंचायत में कोई कार्य नहीं मिला, जबकि फर्जी उपस्थिति दर्ज कर उनके नाम से भुगतान किया जा रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पहले निलंबित किए गए पंचायत सचिव सुभाष दीक्षित पर पूरे मामले का ठीकरा फोड़ा जा रहा है, जबकि असली गुनहगार ग्राम प्रधान है।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि वे पूरे प्रकरण की शिकायत उच्चाधिकारियों से करेंगे और भ्रष्टाचार में लिप्त ग्राम प्रधान व सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे।

भाजपा सरकार के सुशासन पर सवाल खड़ा करते हुए, ग्रामीणों

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