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सकरन में वन विभाग की मिलीभगत से हरे-भरे आम के पेड़ों पर चली आरी — कलमी पेड़ों के नाम पर हुआ बड़ा खेल

 

ब्यूरो रिपोर्ट — सुधीर सिंह कुंभाणी ✍️

सकरन (सीतापुर)। वन विभाग और उद्यान विभाग की कथित मिलीभगत से सकरन क्षेत्र में हरे-भरे देशी आम के पेड़ों की अवैध कटान का मामला सामने आया है। आरोप है कि अधिकारियों ने कलमी आम के पेड़ों के नाम पर परमिट जारी कर देशी प्रजाति के पेड़ों को कटवा दिया, जिससे पर्यावरण और ग्रामीण दोनों को भारी नुकसान हुआ है।

मामला रौव्वापुर नेवादा गांव के पास का है, जहां गठिया खुर्द गांव निवासी रामकुमार मौर्या की बाग में आठ देशी आम के पेड़ लगे थे। इन पेड़ों को नकैला गांव निवासी लकड़ी ठेकेदार अजीज ने खरीदा था। ग्रामीणों का कहना है कि ठेकेदार ने वन विभाग से सांठगांठ कर देशी पेड़ों की जगह कलमी प्रजाति के नाम पर परमिट बनवा लिया।

आरोप है कि परमिट जारी करने से पहले उद्यान विभाग ने कोई स्थल निरीक्षण नहीं किया और बिना सत्यापन के ही पांच पेड़ों का परमिट जारी कर दिया। शनिवार को ठेकेदार ने इन्हीं परमिटों के आधार पर सभी पेड़ों को कटवा लिया।

जब ग्रामीणों ने मामले की शिकायत विभागीय अधिकारियों से की तो क्षेत्रीय वन दरोगा नरेंद्र पाल यादव ने अधिकारियों को गुमराह करते हुए कहा कि “ये पेड़ कलमी प्रजाति के हैं।” ग्रामीणों का आरोप है कि दरोगा कमीशन के नाम पर बिना परमिट के प्रतिबंधित पेड़ों की कटान करवाने में लिप्त रहता है।

सूत्रों के अनुसार, इसी तरह दीपावली के दिन बघेलिया गांव में आम और नीम के पेड़ भी कटवा दिए गए, लेकिन विभाग ने सिर्फ खानापूर्ति की कार्रवाई की। पूर्व में भी नसीरपुर, सुमरावां, ताजपुर, सलौली समेत कई गांवों में शिकायतें दर्ज हुईं, परंतु वन विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

रेंजर अहमद कमाल सिद्दीकी ने बताया कि उन्हें मामले की जानकारी मिली है, और उन्होंने कहा कि “डिप्टी रेंजर को मौके पर भेजा गया है, जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

ग्रामीणों ने मांग की है कि पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच हो और वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

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