📌 ब्यूरो रिपोर्ट : दर्शन गुप्ता ✍️
लखनऊ। हज़रत ख्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा शाह अलमारूफ़ दादा मियाँ रह०अ० के 118वें सालाना उर्स-ए-मुबारक का आग़ाज़ आज निहायत ही शान-ओ-शौकत के साथ दादा मियाँ की दरगाह, मॉल एवेन्यू लखनऊ में हो गया। यह दरगाह हमेशा से भाईचारे, मोहब्बत और अमन-ओ-शांति का मरकज़ रही है।
दरगाह की खासियत
दादा मियाँ रह०अ० की दरगाह की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां हर धर्म, हर मज़हब और हर कौ़म के लोग भारी तादाद में पहुंचते हैं और अपनी अकीदत का इज़हार करते हैं। उनकी तालीमात ने हमेशा समाज को मोहब्बत, इंसानियत और सहिष्णुता का पैग़ाम दिया है।
आपका सिलसिला जहाँगीरिया है, जो कादिरिया, चिश्तिया, सोहरवर्दिया, फिरदौसिया, नक्शबंदिया और अबुल-उलाइया का बेहतरीन संगम है। दादा मियाँ ने अपनी छोटी सी उम्र में ही इतने काम अंजाम दिए, जिनकी मिसाल आज भी मुश्किल से मिलती है।
उर्स का कार्यक्रम (15–19 सितम्बर 2025)
उर्स-ए-पाक पाँच दिन तक चलेगा, जिसमें रोज़ाना कुरआनख़्वानी, चादरपोशी, मीलाद शरीफ़, तरही और गैर-तरही मुशायरे, हल्का-ए-ज़िक्र, महफ़िले-समाअ, रंग-ए-महफ़िल, संदल व गुस्ल शरीफ़ का आयोजन होगा।
प्रमुख कार्यक्रम:
- 15 सितम्बर (सोमवार) : कुरआनख़्वानी (सुबह 6 बजे), मीलाद शरीफ़ (रात 8:30 बजे)
- 16 सितम्बर (मंगलवार) : तरही मुशायरा (रात 11 बजे), सरकारी चादर पेश (शाम 5 बजे जिलाधिकारी लखनऊ द्वारा), हल्का-ए-ज़िक्र (रात 8:30 बजे), महफ़िले-समाअ (रात 9:30 बजे)
- 17 सितम्बर (बुधवार) : आम चादरपोशी (पूरा दिन), 11वाँ आलमी सेमिनार (सुबह 10:30 बजे) – उनवान “अदाब-ए-तरीक़त और शाहे रज़ा”, जिसमें जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली से डॉ. वाहिद नज़ीर समेत देशभर के उलमा और स्कॉलर्स शिरकत करेंगे।
- 18 सितम्बर (गुरुवार) : कुल शरीफ़ (सुबह 10:30 बजे), रंग-ए-महफ़िल (सुबह 11:30 बजे), हल्का-ए-ज़िक्र (रात 8:30 बजे)
- 19 सितम्बर (शुक्रवार) : कुल शरीफ़ (सुबह 10:30 बजे), रंग-ए-महफ़िल (सुबह 11:30 बजे), गुस्ल व संदल शरीफ़ (शाम 5 बजे), गैर-तरही मुशायरा (रात 9 बजे), महफ़िले-समाअ (रात 9:30 बजे)
सेमिनार की अहमियत
17 सितम्बर को होने वाला आलमी सेमिनार खास तौर से दादा मियाँ की तालीमात और तरीक़े को आम करने के लिए आयोजित किया जाएगा। उलमा-ए-किराम और स्कॉलर्स लोगों को सूफियाना तालीम, इंसानियत और भाईचारे की राह पर चलने का पैग़ाम देंगे।
प्रशासनिक इंतज़ाम
जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने उर्स के लिए इस बार भी मुकम्मल इंतज़ाम किए हैं। सज्जादानशीन हज़रत ख्वाजा मोहम्मद सबाहत हसन शाह ने जिला प्रशासन का आभार जताया और कहा कि दादा मियाँ की तालीमात आज के दौर में नफ़रत और फ़िरकापरस्ती को मिटाकर अमन-ओ-मोहब्बत का पैग़ाम देती हैं।
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