स्टेट ब्यूरो हेड योगेन्द्र सिंह यादव ✍🏻
शाहजहाँपुर, 01 अक्टूबर 2025।
प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि किसानों की आय दोगुनी हो और वे आत्मनिर्भर बनें। परंपरागत फसलें – जैसे गेहूं, चना, मटर, सरसों, जौ, बाजरा, मक्का, ज्वार और धान – अब भी किसानों की प्रमुख पसंद हैं, लेकिन बागवानी फसलों की ओर रुझान ने किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है।
🍇 विविधतापूर्ण बागवानी फसलें
उत्तर प्रदेश की जलवायु लगभग सभी प्रकार की बागवानी फसलों के लिए उपयुक्त है।
- फल : पपीता, अमरूद, केला, आम, अंगूर, बेल
- सब्जियाँ : फूलगोभी, बंदगोभी, मटर, टमाटर, आलू, प्याज, लौकी, कद्दू, गाजर
- मसाले : धनिया, हल्दी, सौंफ, जीरा, मिर्च, लहसुन
- औषधीय पौधे : एलोवेरा, अश्वगंधा, सर्पगंधा, पिपरमिंट, शतावरी, तुलसी, ब्राह्मी
इन फसलों से किसान परंपरागत खेती की तुलना में कई गुना अधिक आय प्राप्त कर रहे हैं।
📊 कृषि विकास में योगदान
- प्रदेश के कृषि सेक्टर में बागवानी फसलों का योगदान लगभग 28 प्रतिशत है।
- छोटे और लघु किसान पारंपरिक खेती छोड़कर बागवानी खेती अपनाकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रहे हैं।
- बागवानी फसलें रोजगार और पोषण उपलब्ध कराने में भी सक्षम हैं।
- सरकार अनुत्पादक बागों के जीर्णोद्धार और गुणवत्तापूर्ण पौध उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दे रही है।
🌼 योजनाएँ और नवाचार
प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं –
- एकीकृत बागवानी विकास मिशन
- ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई व्यवस्था
- औषधीय पौध मिशन
- अनुसूचित जाति/जनजाति बहुल क्षेत्रों में बागवानी विकास
इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को अनुदान, पौध, बीज, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है।
🌍 तकनीकी सहयोग और प्रसंस्करण
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इजराइल सरकार के सहयोग से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना –
- बस्ती (फल)
- कन्नौज (सब्जी)
- कौशाम्बी (फल)
- चंदौली (सब्जी)
- सहारनपुर (फल)
- लखनऊ (ऑर्नामेंटल)
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किसानों को ग्रीन हाउस, शेड नेट हाउस और हाई वैल्यू सब्ज़ियों की तकनीक से जोड़ा जा रहा है।
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मशरूम, मधुमक्खी पालन, पान उत्पादन और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों से किसानों को अतिरिक्त आय और रोजगार मिल रहा है।
👨🌾 किसानों की आय में वृद्धि
सरकारी सहयोग और बागवानी योजनाओं के चलते –
- एक लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में नवीन उद्यान रोपण।
- किसानों को अनुदान आधारित फेंसिंग और पौधरोपण की सुविधा।
- ऑफ-सीजन सब्जी व पुष्प उत्पादन से अधिक लाभ।
- खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों से फसल का उचित मूल्य।
➡️ बागवानी खेती न केवल किसानों की आय दोगुनी करने का माध्यम बन रही है, बल्कि यह रोजगार, पोषण, निर्यात और ग्रामीण विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
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