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मोंथा तूफान ने तोड़ी किसानों की कमर, माथे पर चिंता की लकीरें

✍️ ब्यूरो रिपोर्ट – सुधीर सिंह कुम्भाणी

सकरन (सीतापुर)। चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। भारी बारिश और तेज हवाओं ने खेतों में खड़ी फसलों को बर्बाद कर दिया, जिससे किसानों के चेहरों पर चिंता की गहरी लकीरें उभर आई हैं।

लगातार हुई बारिश के चलते सैकड़ों एकड़ खेतों में खड़ी धान की फसल गिरकर जलमग्न हो गई, जबकि कई खेतों में अंकुरित धान पूरी तरह सड़ चुका है। किसान अब पूरी तरह से आर्थिक संकट में फंस गए हैं।

इस साल किसानों को पहले यूरिया की भारी किल्लत झेलनी पड़ी — महंगे दामों पर खाद खरीदकर उन्होंने फसल तैयार की, लेकिन अब यह फसल उनकी आंखों के सामने बर्बाद हो गई। किसान बताते हैं कि एक तरफ सरकारी लापरवाही और दूसरी तरफ प्राकृतिक आपदा ने उनकी कमर तोड़ दी है।

क्षेत्र के कुचलैया, सांडा, शाहपुर, नसीरपुर, रसूलपुर, कौवाखेरा, कम्हरिया, कटेसर, दनियारपुर, अरुवा सहित आसपास के दर्जनों गांवों में सैकड़ों एकड़ फसल पूरी तरह चौपट हो गई है।

अब किसान अपनी पहले से कटी हुई उपज को भी बिचौलियों को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं, जबकि सरकार की तरफ से किसी तरह की राहत या सहायता नहीं मिली है।

वहीं, रबी सीजन की तैयारी पर भी संकट मंडरा रहा है — डीएपी खाद की उपलब्धता न होने से किसान असमंजस में हैं कि अगली फसल कैसे बोई जाए।

किसानों का कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द ही मुआवजा व सहायता की व्यवस्था नहीं की, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।

“प्रकृति और प्रशासन — दोनों ने ही इस बार किसानों की पीठ पर वार किया है,”
कहते हैं स्थानीय किसान रामलाल निषाद, जो अपनी पूरी धान की फसल डूबते देख निराश हैं।


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